शि.वा.ब्यूरो, लखनऊ। योगी सरकार की साख को बट्टा लगाने से जिम्मेदार अफसर बाज नहीं आ रहे हैं। खुली छूट देने के बावजूद अफसर सरकार की प्राथमिकता वाले कार्यों को भी महत्व नहीं दे रहे हैं।
जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री ने सत्ता सम्भालने के बाद सभी विभागों में कार्यरत सरकारी सेवकों का डाटा फीड़ कराने का आदेश दिया था, लेकिन हफ्तो-महिनों में पूरा होने वाला काम सालों बीत जाने के बाद भी ये छोटा सा कार्य पूरा नहीं हो पाया है। इसके साथ ही हाल ही में कोविड़ 19 पर प्रभावी नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जनपदों में नोडल अफसरों की तैनाती में जिम्मेदार अफसरों ने जिस लापरवाही का परिचय दिया है, उसका उदाहरण मिलना मुश्किल है। जिम्मेदारों की लापरवाही का आलम यह है कि उन्होंने छोटे जनपदों में सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अफसरों को नोडल अफसर बनाया है, जबकि प्रयागराज जैसे बड़े और महत्वपूर्ण जनपद में विशेष सचिव स्तर के अफसर को नोडल अफसर बनाकर भेजा है।
जानकारों की मानें तो सचिव व प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी जनपदों में कोविड़ 19 पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जनपद स्तर के अफसरों को वहां जिलाधिकारी समेत निर्देशित करने की क्षमता रखते हैं, लेकिन विशेष सचिव स्तर के अफसर बड़े जनपदों में जिलाधिकारियों के समक्ष खुद को बौना महसूस करते हैं और केवल डीएम की बैठकों में भाग लेने के सिवा अन्य कोई कार्य करने के लिए प्रभावी कार्यवाही करने सफल नहीं रहते और न ही जिलाधिकारी सहित अन्य अफसर उन्हें गम्भीरता लेते हैं। इस तरह जिम्मेदारों की जरा सी लापरवाही मुख्यमंत्री की शाख पर भारी पड़ रही है।
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