डॉ अवधेश कुमार 'अवध', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जैव जगत आधार, प्रथम है केवल पानी।
इसके कारण भूमि, ओढ़ती चूनर धानी।।
सकल चराचर हरित, प्रकृति मनहर मनभावन।
जल जीवन का रूप, जिंदगी इससे पावन।।
जीव - जन्तु सम्बंध, खाद्य की अमिट कहानी।
स्वार्थ सिद्धि में लीन, मनुज ने सोखा पानी।।
निर्जल सावन मेघ, सूखकर लगता लोहित।
धरती बिनु श्रृंगार, करे अब कैसे मोहित।।
पशु - पक्षी लाचार, हुआ जीवन दुखदाई ।
मुट्ठी भर कुछ लोग, बने हैं निठुर कसाई ।।
बढ़ा सूर्य का कोप, आग ज्यों जलती धरती ।
प्रकृति हुई बेहाल, वृक्ष बिनु रोती मरती ।।
किया मनुज दुष्कर्म, हुआ जीवन संहारक ।
पानी बिनु संसार, मनुज ही कारक तारक ।।
प्रकृति नाश का दंश, तुरन्त मिटाना होगा ।
अवध न जाए हार,अवधपति!आना होगा ।।
मैक्स सीमेंट, नांगस्निंग, ईस्ट जयन्तिया हिल्स
मेघालय
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