गुरु (गुरु पूर्णिमा पर विशेष)





प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

जीवन को ,

जो  उत्कृष्ट बनाता हैं ।

मिट्टी को ,

जो छूकर मूर्तिमान कर जाता है ।

 

बाँध क्षितिज रेखाओं में, 

नये आयाम बनाता हैं ।

 

जीवन को,

जो  उत्कृष्ट बनाता हैं ।

ज्ञान को, 

जो विज्ञान तक ले जाता है ।

 

विद्या के दीप से ,

ज्ञान की  जोत जलाता है |

अंधविश्वास के  ,

समंदर को  चीर, 

नवीन तर्क के , 

साहिल  तक ले जाता है |

 

मानवता  की पहचान  से ,

जो परम ब्रह्म तक ले जाता है ।

 

सत्य -असत्य, 

साकार को आकार कर जाता है ।

 

जीवन-मरण, 

भेद-अभेद के  भेद  बताया हैं |

वह प्रकाश -पुंज ,

ईश्वर  के बाद गुरु कहलाता हैं |

स्वरचित रचना 

 

नालागढ़, हिमाचल प्रदेश




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