डा.मिली भाटिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
डॉक्टर मिली भाटिया आर्टिस्ट 15 साल से नन्हे बच्चों को चित्रकारी सिखाती आ रही हैं। डा.मिली कोटा में ओम् कोठारी इन्स्टिटूट ओफ़ मैनज्मेंट एंड रीसर्च कॉलेज में 4 साल से असिस्टेंट प्रफ़ेसर के पद पर कार्यरत हैं। मिली ने ओम् कोठारी कॉलेज व ओम् कोठारी स्कूल के 300 बच्चों व डॉक्टर मिली ने हाल ही में लाक्डाउन पिरीयड में करोना विषय पर निशुल्क ऑनलाइन कॉम्पटिशन आयोजित किया था, जिसने 200 बच्चों ने भाग लिया था को ऑनलाइन सम्बोधित कियाहैं। सभी प्रतिभागी बच्चों को डॉक्टर मिली ने ऑनलाइन चित्रकला के गुण बताते हुए कहा की चित्रकला हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं। आदि मानव भी अगर चित्रकला नही करते तो हम इतिहास जान ही नहीं पाते।
चित्रकला कोई मेथ्स विषय नहीं है कि 2+2=4 हो। चित्रकला एक अनुभूति है। डा.मिली ने कहा की बच्चों से अच्छा चित्रकार विश्व में कोई और नही हो सकता। चित्रकला कोई बोझ नहीं की बच्चे देख-देख कर ही कॉपी वर्क करे। डा.मिली ने बच्चों को ऑनलाइन बताया की मान लीजिए हमें एक बर्ड (चिड़िया) बनानी है तो उसका स्ट्रक्चर सही होना ज़रूरी है। डा.मिली कहती हैं मेरी एक कक्षा में 40 बच्चे हें, ज़रूरी नहीं कि सब बोर्ड पर मेरी सिखाई हुई बर्ड देख देख कर कॉपी कर लें। यह चित्रकला नही है। डा.मिली बच्चों को चित्रकला में आज़ादी देती हें। विषय अगर बर्ड हे तो उनकी कक्षा में बच्चे अपनी इमैजिनेशन से चित्रकारी करते हें।
डा.मिली सिर्फ़ उन्हें परफेक्ट स्ट्रक्चर सिखाती हें। कक्षा के 40 बच्चे अलग-अलग अपनी कल्पना से कोई बर्ड को पिंजरे में, कोई छत की मुँडेर पर, कोई पेड के घोंसले में, कोई आसमान में उड़ते हुए बनाते हें, यही चित्रकला है। ज़रूरी नहीं कि लैंड्स्केप में हर बच्चे का आसमान नीला ही हो। नन्हे चित्रकारों की इमैजिनेशन का आसमान पिंक भी हो सकता है। डा.मिली ने बच्चों को बताया कि अपनी इमैजिनेशन पर रोक मत लगाइए!शुरू में पेन्सल से हल्के हाथों से चित्र बनाइए। शीट की साइज़ का ध्यान रखते हुए सही नाप से चित्र बनाइए। लैंड्स्केप और पोर्ट्रेट में ब्लैक और वाइट कलर का यूज़ नहीं करना चाहिए। गॉड ने जो भी नेचर की चीजें बनाई हें, उनमें ब्लैक और वाइट कलर कहीं नहीं हें। वाटर कलर वाले चित्र में पानी का इस्तेमाल अधिक होता है, ओईल पेंटिंग और अक्रिलिक पेंटिंग में चटक रंगो का इस्तेमाल होता है। आउटलाइन हमेशा बाद में की जाती है। डा.मिली ने कहा की रोज़ ख़ाली वक्त में कम से कम 10 पेन्सल स्केच की रोज़ प्रैक्टिस कीजिए। जितनी स्केचिंग करेंगे, उतना हाथ में निखार आएगा। डा.मिली ने ओम् कोठारी इंस्टिट्यूट ओफ़ मैनज्मेंट एंड रीसर्च व ओम् कोठारी स्कूल के डिरेक्टर डा.अमित सिंह को मौक़ा देने के लिए आभार व्यक्त किया।
रावतभाटा, राजस्थान
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