शि.वा.ब्यूरो, लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती अक्खड़ राजनीति के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने अपने तर्कों से अच्छे-अच्छों की नींद हराम कर देती हैं, लेकिन उनकी राजनीति का बदला रूप राजनीति के पंड़ितों को भी समझ में नहीं आ रहा है। हां इतना जरूर है कि कोविड़ 19 के कारण हुए लाॅकडाउन के दौरान बसपा सुप्रीमों ने जिस तरह सकारात्मक राजनीति का परिचय दिया है, वह लोगों के दिलों में घर कर गयी है।
बसपा सुप्रीमों ने अभी हाल ही में ट्वीट किया था कि कोरोना वायरस व उस कारण लाॅकडाउन की पाबन्दी व बेरोजगारी आदि की जबर्दस्त मार से पीड़ित देशवासियों को भुखमरी की असहनीय स्थिति से बचाने के लिए ’पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना’ नवम्बर तक नहीं बल्कि देश में कोरोना प्रकोप के जारी रहने तक अवश्य ही जारी रहनी चाहिए, बीएसपी की यह माँग है।
इसके साथ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा था कि कर्नाटक के बेलारी में कोरोना से हुई मौत पर शवों को गड्डे में फेंकने की घटना व दृश्य मानवता को शर्मसार करने वाला है। कोरोना मरीजों के साथ क्रूर व्यवहार की शिकायतें तो आम बात है, किन्तु उनकी लाशों के साथ इस प्रकार की दरिन्दगी की सजा दोषियों को वहाँ की सरकार जरूर दे।
इससे पहले भी सरकार को बेवजह कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करने के स्थान पर उन्होंने सरकार के अच्छे काम की प्रशंसा भी की और उन्हें इस महामारी से बचने की उचित सलाह भी दी है। इस दौरान उनकी सकारात्मक राजनीति से सभी भौचक्के हैं और उनके दांव को समझने की नाकाम कोशिश भी कर रहे हैं।
राजनीति के जानकारों की मानें तो एक ओर कांग्रेस ने केवल सरकार की हर मामले टांग खिलाऊ राजनीति के चलते अपनी छवि को खराब किया है, तो वहीं दूसरी और मायावती ने अपनी बदली राजनीति से लोगों के दिलों में अपनी पैठ बढ़ा ली है।