आर्थिक अपराध शाखा की जांच में हुआ खुलासा, बीएसए दफ्तर से कथित 30 फर्जी शिक्षकों की फाइल गायब


शि.वा.ब्यूरो, जौनपुर। विभिन्न जिलों से फर्जी स्थानांतरण पत्र के सहारे जिले के विभिन्न परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी करने वाले 30 शिक्षकों की फाइल बीएसए दफ्तर से गायब हो गई। मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा वाराणसी की टीम ने बीएसए दफ्तर में छानबीन की तो इस बात का खुलासा हुआ। जांच टीम ने बीएसए से इस बात से स्पष्टीकरण मांगा है।


बता दें कि वर्ष 2001 से 2003 के बीच विभिन्न जिलों से फर्जी स्थानांतरण पत्र के सहारे 30 लोगों ने जिले में सहायक अध्यापक पद पर तैनाती प्राप्त कर ली। उनको जिले के विभिन्न विकास खंड के प्राथमिक विद्यालयों में तैनाती दे दी गई। ये सात साल से अधिक समय तक वेतन लेते रहे। पूरे प्रकरण का खुलासा होने पर वर्ष 2008 में तत्कालीन बीएसए विनोद राय ने सभी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया और लाइनबाजार थाने में उन पर मुकदमा दर्ज कराया था। संयुक्त शिक्षा निदेशक ने इस मामले की जांच की। इस दौरान इन शिक्षकों को 7.20 करोड़ रुपये से ज्यादा का वेतन भुगतान हो चुका था, जिसकी रिकवरी नहीं हो सकी। जालसाजी के इस मामले के खुलासे के करीब 12 साल बाद आर्थिक अपराध शाखा वाराणसी की टीम ने जांच शुुरू की है। सोमवार को टीम के सीओ अशोक कुमार सिंह और इंस्पेक्टर चंद्र प्रकाश तिवारी बीएसए दफ्तर पहुंचे और फर्जी शिक्षकों की फाइल तलब की तो पता चला कि कार्यालय से वह गायब हो चुकी है। आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा वाराणसी की टीम जिन 53 शिक्षकों के फर्जीवाड़े से जुड़ी पत्रावली को अपने कब्जे में लेने के लिए निरंतर हाथ पैर मार रही है। सूत्रों का कहना है कि उक्त पत्रावली से जुड़े सभी दस्तावेज विभाग के चर्चित बाबुओं ने पहले ही नष्ट करवा दिया है। सूत्रों की मानें तो जब बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय हाईिडल कालोनी के पास से डायट परिसर में बने नए भवन में स्थानांतरित हो रहा था, उसी समय पत्रावली को नष्ट कर दिया है। चर्चा तो यह भी है कि उक्त पत्रावली को आग के हवाले कर दिया गया था। जिस के संबंध में पूर्व के बीएसए ने नगर कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था, लेकिन बाबुओं ने लेनदेन करके मुकदमा नहीं दर्ज होने दिया।


जौनपुर जिला जिस तरह शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी है। उसी के समानान्तर फर्जी शिक्षकों का जखीरा भी है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले के 65 सौ शिक्षक जांच के दायरे में आ गए हैं। इनकी फाइलें खुलनी शुरू हो गयी हैं। इसी क्रम में सोमवार को आर्थिक अपराध शाखा वाराणसी की टीम ने जौनपुर में फर्जी अंतर्जनपदीय आदेश के आधार पर नौकरी करने वाले 53 शिक्षकों की फाइल खोल दी। नौकरी पाने वाले इन शिक्षकों को 8 करोड़ से अधिक भुगतान किया गया है। उस दौरान जो भी बीएसए के रूप में तैनात थे। उन सभी 12 बेसिक शिक्षा अधिकारियों समेत 20 कर्मचारियों को नोटिस भेज दी गयी है।


आर्थिक अपराध शाखा वाराणसी के क्षेत्राधिकारी अशोक कुमार सिंह के अनुसार फर्जी शिक्षकों की फाइल बीएसए दफ्तर से गायब है। इसके लिए बीएसए से स्पष्टीकरण मांगा गया तो उन्होंने संबंधित पटल सहायक से रिपोर्ट लेने के बाद स्पष्टीकरण देने को कहा है।  
फर्जी शिक्षकों की जांच से संबंधित फाइल बीएसए दफ्तर से गायब होने के बाबत बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी का कहना है कि उन्होंने पटल सहायक विजय कुमार से बात की तो पता चला कि जब उन्होंने पटल सहायक राजेंद्र यादव से चार्ज लिया तब ये फाइलें उन्हें नहीं दी गई थीं। चार्ज लिस्ट में भी उन फाइलों का जिक्र नहीं मिला। तत्कालीन पटल सहायक राजेंद्र यादव का तबादला यहां से वाराणसी हो गया है। उनसे टेलीफोन पर वार्ता हुई तो उन्होंने उन्होंने बताया कि वर्ष 2013-14 बीच जब बीएसए दफ्तर नए भवन में शिफ्ट हो रहा था तो उसी वक्त वह फाइलें गायब हो गई थीं।


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