योग के दोहे

डॉ. अवधेश कुमार "अवध", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

योग  साँस का खेल है, साँस देह की सार।

देह  रहे जो रोग बिनु, उपजे नेक विचार।।

 

साँस साँस को जोड़कर, साँसहि लिया बचाय।

साँस  देह  की मूल है, साँस बिना सब जाय।।

 

सूर्यदेव का है नमन, बिटमिन डी का भोग।

उदयकाल नित उठ करो, योग भगाए रोग।।

 

मन  के  हारे   हार है, मन के जीते जीत।

तन औ मन को ठीक कर, योग निभाए रीत।।

 

जीवन  में  अपनाइए, सदा योग अभ्यास।

दैनिक  योगाभ्यास  से, बढ़ जाएगी आस।।

 


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