मुख्यमंत्री के सम्मुख अफसरों ने उत्तर प्रदेश में रोजगार सृजन परिदृश्य पर केन्द्रित प्रस्तुतीकरण दिया


शि.वा.ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष आज यहां उनके सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश में रोजगार सृजन परिदृश्य पर केन्द्रित प्रस्तुतीकरण किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से उत्पन्न विषम परिस्थितियों के चलते अन्य प्रदेशों में कार्यरत उत्तर प्रदेश के श्रमिक वापस राज्य लौट रहे हैं। ऐसे में, उन्हें स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य लौटने वाले श्रमिकों के कौशल विकास का विवरण इकट्ठा किया जा रहा है। इसका उपयोग करते हुए उन्हें उनके कौशल से सम्बन्धित क्षेत्र में रोजगार  उपलब्ध कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा जैसी योजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित किया जा सकता है। इसके तहत हर गांव में कम्पोस्ट खाद का निर्माण कर ग्राम पंचायत उसे बेचकर अपनी आय में इजाफा कर सकती है। साथ ही पौधों की नर्सरी स्थापित करने से भी रोजगार मिल सकेगा। आर्गेनिक खेती के माध्यम से भी रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकते हैं। हर गांव में अपना तालाब बनाया जाए, जिसमें बरसाती जल का संचयन किया जाए। इससे उस गांव के जल की आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है। तालाबों की खुदाई से भी लोगों को रोजगार मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों में मौजूद महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण देते हुए उनके कौशल का विस्तार किया जाए, ताकि यह समूह उपयोगी बन सकें। स्वयं सहायता समूहों को सिलाई, बुनाई, कढ़ाई का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ
उन्हें रेडीमेड गारमेण्ट्स को तैयार करने के सम्बन्ध में भी प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रेडीमेड गारमेण्ट्स से सम्बन्धित व्यापक गतिविधियां संचालित हो सकें। इस गतिविधि के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित किए जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण उत्पादों की पैकेजिंग और ब्राण्डिंग पर भी ध्यान दिया जाए, ताकि इन्हें वांछित लोकप्रियता मिले। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्यम स्थापित कर बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है।
महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के अलावा दुग्ध समितियों का गठन कर रोजगार मुहैया कराने के अवसर तलाशे जाएं। विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत विभिन्न प्रकार के रोजगार सश्जित किए जाएं।



मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण जैसी गतिविधि के तहत भी बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित कराए जा सकते हैं। इस सम्बन्ध में लोगों में जागरूकता लाने के साथ-साथ प्रशिक्षण देना होगा। उन्होंने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग
को खाद्य उत्पादों की ब्राण्डिंग करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने गंगा जी के किनारे मौजूद गांवों में आॅर्गेनिक खेती के माध्यम से रोजगार सृजित करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि आर्गेनिक खेती को आज बहुत महत्व मिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 90 लाख एमएसएमई यूनिट्स मौजूद हैं, इन्हें प्रोत्साहन देना होगा। इनके माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित किया जा सकता है। ओडीओपी योजना भी रोजगार मुहैया कराने में कारगर साबित हो सकती है। 
मुख्यमंत्री को विगत माह आयोजित रोजगार समिति की बैठक के अनुरूप रोजगार सृजन हेतु विभागवार लक्ष्यों के विषय में भी अवगत कराया गया। इन विभागों में एनआरएलएम, ओडीओपी, एमएसएमई, उद्यान एवं फल संरक्षण, समाज कल्याण विभाग स्वरोजगार योजना, कौशल विकास मिशन, उ0प्र0 खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, मनरेगा (कन्वर्जेन्स) नवाचार (जैव ऊर्जा बोर्ड) आदि शामिल हैं।
इस अवसर पर मुख्य सचिव आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार, प्रमुख सचिव एमएसएमई  नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल एवं संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास व पंचायतीराज  मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह, प्रमुख सचिव पशुधन भुवनेश कुमार सहित अन्य आला अफसर मुख्य रूप से मौजूद रहे।


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