मात्रा गीत


डाॅ दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

 अ अकेला रहता भाई

आम डंडा खाता है ।1

इमली बाये जाती भाई

 ईख दाये आती है।2

 उल्लू नीचे अलख जगाता

ऊन पूछ लगाती है।3

 एड़ी देखो तिरछी जाती

 ऐनक दो दिखलाती है।4

 ओखल तिरछा खंब बनाती

 औरत फिर दोहराती है ।5

अं राजा की बिंदी देखो 

अनुस्वार कहलाता है।6

अ़ः हमें हंसाता भाई

 वही विसर्ग कहाता है।7

ऋ ऋषि को भूल न जाना

 जन्मों से तो नाता है।8

अ अकेला रहता भाई

आम डंडा खाता है।9

 

आगर (मालवा) मध्य प्रदेश

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