अकिंचन

कुंवर आरपी सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

अपने बल के घमण्ड में चूर बाली छोटे भाई पर तरह तरह के अत्याचार और अन्याय करता था। बाद में उसने सुग्रीव की पत्नी को भी छीन लिया था। बड़े भाई बाली के भय से सुग्रीव को प्राण बचाने के लिए वन में छुपने को मजबूर होना पड़ा था। उसी समय भगवान श्री राम सीता जी की खोज करते करते उसी राज्य में पहुँचे, श्रीराम की शक्ति और न्यायप्रियता के बारे में सुग्रीव ने काफी कुछ सुन रखा था। सुग्रीव ने अपने सचिव हनुमान जी से म़ंत्रणा की और उन्हें श्रीराम के पास भेजकर बाली के उत्पीड़न से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की।

हनुमान जी भगवान श्रीराम के पास पहुँचे तथा अपना परिचय देने के बाद उन्होंने सारी व्यथा बयान की। साथ ही यह आश्वासन भी दिया कि सुग्रीव सीता जी का पता लगाने में पूरा साथ देंगे। प्रभु श्रीराम हनुमान जी की तर्कपूर्ण बातें सुनकर हतप्रत रह गये। उन्हें लगा कि जैसे कोई अत्यन्त नीतिज्ञ विद्वान उनसे बात कर रहा हो। उन्होंने अपने अनुज से कहा-लक्ष्मण! अपने राजा का पक्ष प्रस्तुत करते समय इन्होंने नीति और राजनीति की अनूठी निपुणता का परिचय दिया है। निश्चय ही हनुमान असाधारण ज्ञान, सूझबूझ और भक्ति-भाव से सम्पन्न महापुरुष हैं।

भगवान श्रीराम के यह शब्द सुनकर हनुमान बोले-प्रभु! मेरे अन्दर कोई योग्यता नहीं है। यह तो आपकी असीम अनुकम्पा है कि आपने मुझ जैसे अकिंचन को महत्व दिया। इतना कहकर हनुमान उनके चरणों में लोट गये। 

 

राष्ट्रीय अध्यक्ष जय शिवा पटेल संघ