शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। एसडी काॅलेज ऑफ फार्मेसी एंड वोकेशनल स्टडीज के निदेशक डा0 अरविन्द कुमार ने विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर पर लोगों से स्वस्थ्य रहने की अपील की। इस बार की थीम टू सर्पोट नर्सेज एण्ड मिडवइव्ज कन्ट्रीब्यूसन ड्यूरिंग कोविड-19 रही। यह थीम नर्सेज और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के योगदान पर आधारित है व स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने के लिए प्रेरित करती है।
काॅलेज निदेशक डा0 अरविन्द कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य ही मनुष्य की असली पूंजी होती है, लेकिन क्या हम सच में आज व्यस्तता व तनावग्रस्त जिंदगी में इस स्वास्थ्य नामक पूंजी पर कितना ध्यान आकर्षित कर पाते है? अगर इस सवाल का जवाब खुद से पूछे तो जवाब ना में ही आयेगा। एक अच्छा सुख से जीवन जीने के लिए स्वस्थ व सेहतमंद होना आवश्यक है अगर हम स्वस्थ है तो विषय परिस्थितियों का सामना भी बडी कुशलता से कर सकते है, लेकिन आज के वक्त में मनुष्य के जीवन की गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर हर साल एक थीम रखता है ताकि दुनिया का हर एक इंसान लम्बे वक्त तक सुखी जीवन बीता सके। विश्व स्वास्थ्य दिवस के उद्देश्य लोगों से जुडें स्वास्थ्य के मुद्दे और समस्या की ओर आम लोगों का ध्यान दिलाना और उनके प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
उन्होंने बताया कि उन्मूलन कायक्रमों के तहत पोलियों, टीवी, कुष्ठ रोग, चेचक, छोटी माता, आदि सहित गम्भीर बीमारियों पर नियंत्रण पा लिया गया है। आज इस अवसर पर मच्छर के प्रकोप को बढ़ने से रोकने के लिए विभिन्न इलाकों में एन्टी लार्वा व कीटनाशक का छिड़काव कराया जाता है। वेक्टर जनित रोगों से बचाव के लिए इस दिन जिला-ब्लाॅक स्तर पर कार्यशाला आयोजित की जाती है। शिक्षा विभाग के सहयोग से विभिन्न स्कूल, काॅलेजों में रोगों के बारे में जागरूकता कैंप, वाद-विवाद प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी आदि के कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते है परन्तु आज विश्व व्यापी महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस के संक्रमण के आतंक से बचाव हेतु लाॅकडाउन ने मानो सभी कार्यक्रमों पर ब्रेक लगा दिया है और जनता, सरकारी व अर्धसरकारी महकमा कोरोना वायरस के खात्में हेतु जंग लड़ रहे है।
अतः आज के परिदृश्य को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि कोरोना वायरस के खात्मे हेतु विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिये गये दिशा-निर्देशों और सरकार द्वारा बनाये गये नियमों को हम भलि-भाँति अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें। यह तभी सम्भव हो सकता है जब हम सब एक जुट होकर अपने देश मानव जाति और समाज के स्वास्थ्य के प्रति गम्भीरता का परिचय दें।