कुंवर आरपी सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जंगल में एक पेड़ पर एक तोता और एक कौआ रहते थे। विपरीति स्वभाव के बावजूद दोनों में अच्छी पटती थी। एक दिन उन्हें मालूम हुआ कि सागर तट पर गरुड़ भगवान पधार रहें हैं। सभी पक्षी दर्शन को जाने लगे। तोते ने कहा-क्यों न सबसे पहले हम जाकर भगवान गरुड़ के दर्शन कर लें। कौआ राजी हो गया। बहूत सवेरे ही दोनों ने उडा़न भरी, वे जल्दी ही सब पक्षियों से आगे निकल गये। अचानक उड़ते उड़ते कौए की नजर नीचे एक व्यक्ति पर पड़ी। जो सिर दही का मटका लिये बाजार जा रहा था। कौआ नीचे की ओर उड़ते उड़ते आकर,उस मटके पर बैठ गया और अपनी चोंच में दही भर कर उड़ गया। उसके मुँह स्वादिष्ट दही का स्वाद लग चुका था। अब वह बार बार उड़ता हुआ आता और चोंच में दही भर कर उड़ जाता। तोते ने कई बार उसे ऐसा करने से रोका, पर वह नहीं माना। ग्वाले को कौए की चोरी का पता चल गया। थोड़ी देर तक तो उसने कौए को भगाने की कोशिश की, पर नाकाम रहने और कौए के ना मानने पर उसने कौए को सबक सिखाने की ठानीं। उसने दही का मटका एक ओर रख दिया और खुद एक पेड़ के पीछे छिप गया। कौए को जब मटकी के आसपास ग्वाला नहीं दिखा, तो वह नीचे मटके पर चैन से बैठकर दही खाने लगा। ग्वाले ने पेड़ की ओट से निकल कर जैसे उसे मारने को पत्थर फेंका, कौआ तो होशियार व सतर्क था, वह तेजी से उड़ गया और पत्थर कौए के साथ पीछे उड़ रहे निर्दोष तोते को जा लगा। तोता बेवजह गलत संगत के कारण मारा गया। इसलिये व्यक्ति को संगत हमेशा ठीक लोगों के साथ ही रखनी चाहिये।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जय शिवा पटेल संघ
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