अंशु शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
बेटा तू कहां अमेरिका में जाकर बस गया है? कोरोना का कितनी बिमारी फैल रही है वहाँ। सविता जी ने अमेरिका मे रह रहे बेटे अनुज से फोन पर कहा। हाँ माँ! आज आफिस भी बंद हो गया, घर से काम करेगें। अब तो फ्लाइट भी बंद होने वाली है, सुना है। हाँ बेटा! यहाँ गाव आ जा कोई परेशानी नही। शहरो के कोई नही आते तो सब सही। हाँ माँ! आज ही कराई फ्लाइट हैदराबाद अपने फ्लेट का कुछ काम है, बस दो दिन मे गाँव ही आ जाएगे। गाँव से सुरक्षित कुछ नही। जरूरी सामान लेता आऊँगा, बच्चो के खाने पीने का। ले अपने पापा से बात कर। नमस्ते पापा। देख मनोज अपना चैकअप कराके आना। हो सके तो वही रहो। क्या पापा सब बुला रहे है, आप मना कर रहे हो। गुस्से मे अनुज बोला। सुरक्षा घर मे ही है बेटा। रास्ता बहुत लम्बा है। पापा हमे पता है कि हम सही है, आप चिंता नही करो। टिकट करा दिए है। अपना देश भारत सुरक्षित है, यहाँ कोई नही ध्यान रखने वाला। अच्छा ठीक है। ध्यान से आना। चिंता की बात है कोरोना, सावधानी जरूरी। मास्क, सैनिटाइजर भी लेकर आकर। हाँ-हाँ पापा जरूर। वैसे मुझे कोई बुखार नही ना खाँसी, गले मे जकडन या साँस लेने मे परेशानी। हाँ-हाँ भगवान करे ना हो, फिर भी बताना हमारा फर्ज है। अच्छा पापा जल्दी मिलते है। तुम भी कैसी बात करते हो, ऐसा लग रहा है, बुलाना नही चाह रहे। सविता ने फोन लेते हुए कहा-अच्छा बेटा जल्दी आ जाओ।
फोन रख दिया। मनोज जी सविता पर गुस्सा करने लगे, मना नही कर सकती थी आने को। मेरी बात बुरी लग जाती है उसे, फिर भी कहा। सुरक्षित वही है वो। रहने दो, विदेश से सभी आ रहे है, अपना घर सबसे अच्छा होता है। दुविधा मे दोनो की दूर रहे बच्चे त़ो दिल नही मान रहा, पास आऐ तो खतरा कोरोना बीमारी का।
अगले दिन अनुज परिवार सहित हैदराबाद पहुँचा। अपने फ्लेट पर गया जो किराए पर था। उनसे मिलकर कुछ जरूरी कागजात हस्ताक्षर लिए। होटल मे खाना खाते रहे सब। सुपर मार्केट गये, खाने का जरूरी सामान लिया। बच्चो को अमेरिका की आदत है बिना कार्नफ्लेक्स के, जैम और भी बहुत सामान के बिना आदत नही रहने की। ये सोचकर खरीदा। दुसरा ही दिन था, अमेरिका से आए। अगले शाम को ही गाँव के लिए चल दिए।
गाँव पहुँचते ही सब मिलने आए पडोसी। सविता जी और उनके पति मनोज खूश थे बच्चो के साथ इस बहाने रहने को ज्यादा दिन मिलेगें। दो दिन बाद ही हल्का सा बुखार अनुज को लगा, तुरंत मनोज जी ने बेटे को चैकअप के लिए कहा। क्या पापा! मुझे था ही नही, ना मै किसी के सम्पर्क मे रहा। बेटा पता नही चलता है। रास्ते मे कितने होटल, बाजार, टैक्सी कोई भी परेशानी मे डाल सकता है। गुस्से मे अनुज चला गया सभी को लेकर। वहाँ पता चला सभी कोरोना टेस्ट पोजिटिव आया। स्वास्थ्य विभाग को जानकारी पहुँचा दी गयी हास्पिटल से। सभी सर्तक हुऐ। सारी लिस्ट बनाई। एयरपोर्ट से किरदार, होटल वाले, टैक्सी, गाँव वाले बहुत लोग इस बीमारी की चपेट मे आ गये। कुछ को संक्रमण नही हुआ। सबको अलग रख कर इलाज किया गया। कुछ को हास्पिटल रखना पडा। पर सब सही हो गये समय से पता चलने पर।
सविता जी के प्यार की वजह से, अनुज की एक लापरवाही ने ना जाने कितने लोगो को परेशान कर दिया। समय रहते मनोज जी की समझदारी से सब सही भी हो गये ।
चैन्नई