वीरेन्द्र सिंह रावत, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
आज आपके बीच अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता को लेकर आया हू मुझे गर्व है कि मे एक पहाड़ी हूं। मेरा जन्म उत्तराखंड राज्य के पौड़ी जिले के कुलासू गांव मे भारत के राष्ट्रपति आर वैंकटरमन के द्वारा अवार्ड से सम्मानित कैप्टन चंद्र सिंह रावत के पुत्र रूप में हुआ था। हमारी टोपी, हमारी भाषा हमे हमेशा अपने पहाड़ की याद दिलाती है और क्यूं ना हो। इतना प्यारा हमारा पहाड़ और गांव है। शुद्ध हवा, शुद्ध पानी, शुद्ध खाना, स्वस्थ शरीर, हसीन वादियाँ, सीधे-साधे लोग, शांत वातावरण मन को शांति प्रदान करती है। आज उसी की वज़ह से आप देख रहे होंगे कि उत्तराखंड के 13 जिलों मे से 11 जिले कोरोना वाई रस को छू नहीं सके और कोरोना मुक्त है।
जहा पूरे विश्व में इस महामारी कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है, वहीं उत्तराखंड के 11 जिले अपने स्थान पर शांति पूर्वक बैठा है। कोरोना कोई कहर नहीं है वहां। होना भी नहीं है, क्यूंकि प्रकृति ने, भगवान ने, देवी-देवताओ ने स्वर्ग से सुंदर हमारे उत्तराखंड को बनाया है। हम सब इसके बधाई के पात्र है, पर आज दुख इस बात का है कि उत्तराखंड के तीन जिले देहरादून, नैनीताल और हरिद्वार जो कोरोना की लड़ाई लड़ रहा है, क्यूं इसके जिम्मेदार हम ही हैं। बेतहाशा पब्लिक, गाड़ियां, प्रदूषण, बिल्डिंग, गंदगी, फैक्ट्री। आप अगर नजर उठा कर देखे तो पूरे भारत के राज्य और जिले अगर कोरोना कि मार झेल रहे हैं, तो वहा के लोग या सिस्टम जिम्मेदार है।
बस हमें इसे सुधारना है तो स्वयं और सरकार को कड़े नियम बनाने होंगे, तभी इस देश का भला होगा। कोरोना कि अभी बहुत लम्बी लड़ाई है और हम सब को मिलकर लड़ना होगा। पहले खुद सुधरे, फिर दूसरों को सुधारे। फिलहाल अभी घर पर रहे, मस्त रहे, फिट रहे, तनाव मुक्त रहे, व्यस्त रहे, साफ सफाई करते रहे, एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहे।
राष्ट्रीय फुटबाल कोच, उत्तराखंड आंदोलनकारी, देहरादून, उत्तराखण्ड़
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