दिलीप


अवंतिका, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


अंकल कुछ ऐसी है शक्सियत उनकी,


शब्द कम पड़े तारीफों में जिनकी


आज के युग में ,कल से वो,


कलकल बहते झरने से वो,


सबके दुख सुख के सहभागी वो,


मानव जीवन के अनुरागी वो,


शिथिलता में भी, जीवंतता ला दे,


अंधियारे में दीपक से जलते वो


कौन जाने क्या-क्या छिपाते वो,


यूं ही तो नहीं अक्सर मुस्काते वो


कुछ अजब ही है उनके कायदे,


नहीं निभाते वो कभी देख फायदे।


विनम्रता ही है उनकी पहचान,


ऐसे अनेकों गुणों की हैं वो खान


सबकी उलझनों के इकलौते हल,


ऐसे है मेरे दिलीप अंकल


आदर्श है जिनका जीवन,


जो शीतल,शांत और पावन,


उन दिलीप अंकल को मै करती हू नमन


ज्वारभाटा, राजस्थान


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