आइने की जगह ली है मैंने 


प्रणव भास्कर तिवारी 'शिववीर रत्न', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

आइने की जगह ली है मैंने 

गलती फिर भी छुपा ली है मैंने 

कब हुआ मैं रिहा बताओ अब 

कब खुले में हवा ली है मैंने 

इक तुझे बस गले लगा कर के   

अपनी गर्दन जला ली है मैंने 

तुमको पानी समझने की ख़ातिर 

आग ख़ुद में लगा ली है मैंने 

अपनी दौलत को आगे लाकर के 

इक लड़की पटा ली है मैंने

इश्क़ को ज़ब भी मुँह लगाया है 

इश्क़ से मुँह की खा ली है मैंने  

वक़्त ऐसे गुजारा है घर में  

एक थाली बजा ली है मैंने 

कोई इज्जत तलक़ नहीं करता 

इतनी इज्जत कमा ली है मैंने

 

बाराबंकी, उत्तर प्रदेश 

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