डॉक्टर जगदीश शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
पज्याणु गांव कभी भरमौर के राजा मूषवर्मन की लालन-पालन स्थली रहा है। सुकेत संस्थापक राजा वीरसेन के दादा सूर्यसेन के साथ नादिया बंगाल से आए नागेन्द्र गौड ब्राह्मणों की निवास स्थली पज्याणु आज सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के लिए प्रदेश व दूसरे राज्यों के किसानों, बागवानों और कृषि विशेषज्ञों के आकर्षण का केन्द्र बन गया है। राजसी काल में गुरु-शिष्य परंपरा के केन्द्र रहे पज्याणु को प्रकृति ने अनेक नेमतें बख्शी हैं, लेकिन रासायनिक पदार्थों से विषैली हो रही खेती के स्वास्थ्य को लौटाने में पज्याणु गांव की स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त लीना शर्मा ने पिछले डेढ़ वर्ष में जो जोखिम उठाए हैं, उससे अब अद्भुत साहस,समयानुसार खेती में बदलाव के बूते सफलता के पंख लगने शुरु हो गए हैं। न खरपतवारनाशक स्प्रे के दुष्प्रभावों से किसानों को पछताना पड़ रहा है, न तो मंहगी रासायनिक खादों और विषैली स्प्रे के छिड़काव से मनुष्य और पालतु पशुधन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से जूझना पड़ रहा है। कम खर्च में मिश्रित खेती से अच्छी खासी आमदनी के साथ पशुओं को भी विषमुक्त घास मिल रहा है, जिसकी पशुओं के शरीर को स्वस्थ बनाए रखने व विकास के लिए आवश्यकता होती है।
लीना की प्रेरणास्पद सफलता के कारण अब न केवल मंडी जिला के बल्कि किन्नौर,कुल्लु जिला के किसान-बागवान भी सुभाषपालेकर प्राकृतिक खेती की साधारण तकनीकों को सीखने पज्याणु पहुंच रहे हैं। इससे अब यह प्रमाणित हो गया है कि लीना की कड़ी मेहनत ने जहां अपने खेतों से विषमुक्त खेती की शुरुआत कर पूरे पज्याणु गांव को बदल दिया है, वहीं लीना प्रदेश के दूसरे जिलों के साथ हिमाचल के साथ लगते राज्यों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन पज्याणु के गौरव को लौटाने में सफल रही है। इसी कड़ी में कुल्लु जिला के दूर-दराज स्थित हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े व घनी आबादी वाले गांव निरमंड के किसानों का दल पज्याणु पहुंचा। यह भी एक विचित्र संयोग था कि भगवान परशुराम की तपस्थली रहे निरमंड के किसान परशुराम के श्री विग्रह से शोभित छंडयारा के साथ लगते पज्याणु गांव पहुंचे। कृषि विभाग निरमंड के बीटीएम अनिल के नेतृत्व में पज्याणु पहुंचे नरोत्तम, चूड़ाराम, ओम प्रकाश, छायाराम, बालकराम, राजकुमार, इन्द्र, परमानंद, जयपाल, रामदास, मेहरचंद, संजय कुमार के इस दल को प्रत्यक्ष यह देखकर हैरानी हुई कि मात्र डेढ़ वर्ष से कम अंतराल में ही प्रकृति प्रेमी लीना शर्मा ने पूरे गांव को बदल दिया है।
सभी पज्याणु वासियों को प्राकृतिक और मिश्रित खेती में जुटे देख निरमंड के बीटीएम अनिल ने बताया कि हमारे 12 सदस्यीय दल ने एक्सपोजर विजिट के साथ करसोग के इसी क्रम में कुल्लू जिले के निरमंड से किसानों का एक दल गांव पाज्याणु में आया है। इन किसानों ने खेतों में जाकर रेज बेड बनाना सीखे वह बहुफसल बिजाई तथा मुख्य फसल के साथ सह-फसल बिजाई को बिजना व देसी गाय के गोबर व गोमूत्र से निर्मित घन जीवामृत जीवामृत बीजामृत व फसल सुरक्षा के लिए स्थानीय जड़ी बूटियों से निर्मित ब्रह्मास्त्र दशपर्णी अर्क सप्तधान्य अंकुर को बनाना सिखा इन किसानों ने लीना शर्मा द्वारा चलाई जा रही इस मुहिम की बहुत प्रशंसा की व अपने क्षेत्र में जाकर इस तरह की खेती अपनाने का संकल्प लिया। लीना शर्मा व सहयोगी महिला किसानों की लगन, मेहनत, प्रेम और सामुदायिक सहयोग के कारण पज्याणु गांव को मिली पहचान के कारण पज्याणु-पांंगणा गांव वासी स्वंय को गौरवान्वित महसूस कर धन्य समझ रहे हैं।
पज्याणु के लालाराम शर्मा, प्रदीप शर्मा, सोहनलाल, केहर सिंह, व्यापार मंडल पांंगणा के प्रधान सुमीत गुप्ता, समाजसेवी डॉक्टर जगदीश शर्मा, भारत स्वभिमान ट्रस्ट के जिलाध्यक्ष जितेंद्र महाजन, तहसील प्रभारी चेतन शर्मा, सोमकृष्ण गौतम व पज्याणु के बुजुर्गो का कहना है कि लीना शर्मा व महिला किसानों की मेहनत व बुद्धिकौशल के कारण आज पज्याणु गांव सुभाषपालेकर प्राकृतिक खेती का आदर्श गांव बन गया है। लीना शर्मा व सहयोगी महिला किसानों के प्रयास से आस-पास के इलाकों में भी प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता पैदा हो गई है। लोग नगदी फसलें,सब्जियां, दालें, पारंपरिक लुप्त हो रहे अन्न उगाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ी है और परिवार की आय के साथ-साथ अन्न की शुद्धता भी बढ़ी है। कृषि विभाग करसोग-पांंगणा भी लीना और पज्याणु के किसानों के काम को पहचानते हुए भरपूर सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
पांगणा करसोग मण्डी, हिमाचल प्रदेश
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