आशुतोष, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
पूरे विश्व की रफ्तार रूक गयी देखो
एक वायरस के आगे जीवन लाचार देखो।।
विज्ञान ही सबकुछ है आकर यहाँ देखो
आज वेवसी में पडा कितना लाचार देखो।।
मत फैलने दो इसे संयम अपनाकर तो देखो
जिस पर वस नही उसे फैलने से रोको।।
चंद दिनों की बात मौत के आगोश में समाज
चलना होगा संभलकर ही जब यही है इलाज।।
संकट की इस घडी में मानव समर्थन साथ
एक ही तो विकल्प सहारा हौसला साथ।।
मानव के शोधो का यह कुरूप रूप
कोरोना बनकर है उभरा बदला विश्व स्वरूप।।
चित्कार कर रहे लोग सिसक रही जिन्दगानी
अकारण शिकार होते लोग कहते करोना की कहानी।।
निर्दय चीन का कसूर पूरा विश्व रोगी
खाये कीडे मकौडे भी बन रहा योगी।।
पहले निपट लूँ रोगियो से फिर लगेगी तेरी बोली
जीतने भी भोग रहे हिसाब लेना जरूरी।
आविष्कार यह नहीं सिखाता जैविक कीटाणु बनाओ
पर्दा न उठ जाए तेरा इसलिए दुनिया से छिपाओ।।
पटना, बिहार
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