जंगल की बैठक


प्रभाकर सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

चम्पक की कहानियों में जो जानवरो की मीटिंग होती थी। 22 मार्च 2020 को फिर से हुई, काफी अर्सों बाद हुई इस मीटिंग में सभी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। जंगल के कथित राजा शेर ने कहा- आप सभी को आज एक साथ देखकर बहुत ख़ुशी हो रही है, उम्मीद तो नही है, लेकिन आशा करते है कि ऐसी ही मुलाकात आप सभी से होती रहे। मानव आज अपने घरों में दुबका हुआ है, और इसका कारण वह स्वयं है। उसने हमारे आवासों को नष्ट किया है, हमको जेल सरीखे चिड़ियाघरों में बंद करके मनोरंजन का साधन बना दिया, अब देखो अपने कर्म भुगत रहा है। जब जंगल के राजा ने ये विचार कहे तो सभी की आंखों में आंसू भर आये, सभी जानवर एक दूसरे की ओर देखकर मन ही मन सोचने लगे कि इसी को कलयुग कहते है, मानव सिर्फ और सिर्फ अपनी शक्ति के दंभ का फल भुगत रहा है। 

तभी जो पहले चालाक हुआ करती थी (मानव उससे भी चालाक निकला अतः अब ये संज्ञा लोमड़ी ने स्वतः त्याग दी) लोमड़ी अचानक से बोली-कोरोना भाई ने बहुत सही किया इन सबको औकात दिखाकर, बहुत मारा है हमको, सारे रिश्तेदार छीन लिये हमारे। तभी हाथी ने भी अपनी वेदना को व्यक्त करते हुऐ कहा- हमको तो सिर्फ हमारे दांतों के लिये किसी बंदूक नामक हथियार से मारा है, जब हमारे फुफेरे भाई को मारकर उसके दांत निकाले थे तो बेचारा चार दिन तक तड़पता रहा, उसके बाद उसी पीड़ा में उसके प्राण पखेरू उड़ गये, आजतक हम उस दृश्य को नही भूल पाये है। भालू अपनी बैचैनी को छुपा नही पाया और हाथी से बोला-लेकिन मानव लोग तो आपकी पूजा भी करते है, उसने आपको क्यों मारा? हाथी ने उत्तर दिया- मानव सिर्फ अपने लाभ के लिये सब कुछ करता है, किसी को बंधक बनाकर, चाबुक मारकर, उसके ऊपर बोझा लादकर अगर पूजा की जाती हो तो बताओ? तुम नही जानते हो भालू भाई, उसके द्वारा जो मार्ग बनाये गये है, उसमें जब चलता हूँ तो नुकीले पत्थरों की चुभन अंदर तक जाती है, ऊपर से भोजन के नाम पर सब बचा हुआ, बासी भोजन दिया जाता है। आप इसे पूजा कहते हो!

साँप भी तुरंत बोला- यही तो हमारे साथ हुआ, दाँत काटकर, कई दिनों तक भूखा रखकर, जब दूध पिलाने के लिये हमारे मुँह में पाइप रखा जाता है तो लगता है कि हम तो सिर्फ विषधर कहलाते है, असली विष तो मानव के अंदर भरा हुआ है। अब तो अति होने लगी है, आजकल तो वह हमें भोजन के रूप में भी खाने लगा है। आप इन सबको पूजा कहते है!

यह सुनकर भालू के साथ-साथ सभी जानवर स्तब्ध रह गये। भालू ने भी अपनी पीड़ा सुनाते हुऐ कहा कि ऐसा ही हमारे साथ हुआ। हथियारों के बल पर बंदी बनाकर, हमारी नकेल कसके, डंडों से मारकर जो खेल हमसे करवाया जाता था, उसे सिर्फ हम ही समझते है। हाथी और भालू की बातें सुनकर सभी के अश्रु बह उठे। अब बाघ भी कब तक चुप बैठता, वह भी अपनी पीड़ा को न रोक सका और बोला- आप सभी को तो पीड़ा ही मिली है, हमारे तो समूचे वंश को ही मिटा डाला। बंदूकों की गोलियों से सारे परिवार को भून डाला और किसलिये ? सिर्फ अपने मनोरंजन और हमारी खाल को अपने घर में टांगने के लिये, इसे वे अपनी शान समझते है, और ऐसे सोचते है जैसे सभी स्वयं शिव हो गये हो। आखिर कैसे कोई किसी की लाश को प्रदर्शनी के रूप में सजा सकता है।

बाघ की बातें सुनकर बारहसिंघा समेत सभी जानवर अपने आपको सोचने लगे कि कैसे किसी का नाखून, बाल, हड्डियां आज मनुष्य की शोभा के आभूषणों के रूप में व्याप्त है। पेड़-पौधे भी कब तक स्वयं को रोकते। वे भी भरे हुऐ दृगजलो से बोले-

हमारे ऊपर तो जाने क्या-क्या नही छिड़का, उसके बाद भी मन नही भरा तो हमारी संरचना को ही बदल डाला। हमारे अंदर इतने परिवर्तन कर दिये कि अब तो हम भी नपुंसक हो चुके है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिये कुछ नही कर सकते। अब तो हमारे निर्माण पर तक अधिकार कर लिया है, जैसे कोई अस्तित्व ही न हो हमारा। अचानक बहुत सारी आवाजें सुनकर सभी जानवर चौंक गये। श्वान अचानक से आकर बोला- पता नही आज मानव को क्या हो गया है। अपने घरों के ऊपर खड़ा होकर अलग-अलग यंत्रो से आवाज पीट रहा है। लगता है फिर से कोई ढोंग कर रहा होगा, अजीब सी शक्ल बनाते हुए बोला- मैं आजतक इस मानव प्रजाति को समझ नही पाया। 

जब सभी ने अपनी-अपनी पीड़ा व्यक्त की तो समुद्री जीव-जंतुओं के प्रतिनिधि के रूप में बोलते हुऐ मगर ने कहा- हमारे यहाँ तो सब प्रदूषित हो चुका है। प्लास्टिक, गंदगी सब कुछ आजकल समुद्र में ही छोड़ा जा रहा है। कल ही हमारा एक परिवार विनष्ट हो गया। शेर ने अंत में इधर-उधर देखते हुए कहा-गौरेया नही दिख रही है और नाही हमारे कौवे भाई, चीता तो जाने कब से नही मिला। बंदर उचककर आया और बोला-राजा साहब सब विलुप्त हो चुके है। हमारी भी कई प्रजातियां नष्ट हो गई, कुछ नष्ट होने की कगार पर है। 

शाम होने को आई। शेर ने अपनी तरफ से सभी को दावत दी और कहा- कि चलो अब फिर से कैद होने का समय आ गया है, क्योंकि हमारे अपने घर तो बचे नही, अब फिर से उन्ही पिंजरों में कैद होकर मानव का मनोरंजन करेंगे। शेर ने सभा समाप्ति की घोषणा करते हुऐ कहा कि सभी अपने ऑस्ट्रेलिया के भाई-बहनों के लिऐ 2 मिनट का मौन रखेंगे, जिनकी मृत्यु भयानक आग की वजह से हुई, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले। सभा समाप्त हुई। अब आप सोचिये की क्या सच में समाप्त हो गया।

 

रिसर्च स्कॉलर, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद

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