जयप्रकाश "पकंज", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
शिक्षा व्यक्ति को सभ्य और विवेकशील बनाती है और शिक्षा राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा और शिक्षक आपस में पूरक है। शिक्षक ही समाज में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की लौ जगा सकता है और शिक्षा क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है, लेकिन बिडम्बना का विषय यह है कि हिमाचल प्रदेश में जिन लोगों को प्राथमिक शिक्षा का प्रशिक्षण दिया गया है, उनका मानसिक व आर्थिक रूप से शोषण हो रहा है। जिस ऊर्जा को वो पाठशालाओं में नए प्रयोगों में लगा सकते है, उसे उन्हें अपनी भविष्य की चिंता में लगाना पड रहा है। प्रदेश में सरकार जेबीटी और अब डीएलएड के नाम से प्राथमिक शिक्षा के लिए एक डिपलोमा प्रदेश के 12 सरकारी शिक्षण संस्थान और बाकी निजी संस्थानों में बर्षो से करवाती है, जो प्रदेश के लिए प्राथमिक शिक्षक तैयार करते हैं, लेकिन अभी हाल ही में एनसीटीई ने एक तुगलकी फरमान जारी कर इसमें बीएड प्रशिक्षितों को भी आवेदन करने के लिए पात्र समझा और प्रदेश हाईकोर्ट ने भी अस्थायी तौर पर जेबीटी के पदों के लिए आवेदन करने की छूट दी, जो प्रदेश के हजारों जेबीटी प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ धोखा है। यहाँ हमें जेबीटी और बीएड प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण के अन्तर को समझना होगा। बीएड के लिए योग्यता स्नातक होती है और जेबीटी के लिए 10+2 होती है। जेबीटी के प्रशिक्षण में पांच टीचिंग विषय में दक्षता दी जाती है और बीएड में मात्र दो। जेबीटी में मनोविज्ञान का अध्ययन 6-14 बर्ष के बच्चों का होता है और बीएड में 12-19 बर्ष के बच्चों का अध्ययन किया जाता है। जेबीटी टेट में सभी विषय अंग्रेजी, हिन्दी, गणित, पर्यावरण, मनोविज्ञान और समान्य ज्ञान होता है और बीएड टेट में मात्र दो विषयों के प्रशन पुछे जाते है। बीएड की टीचिंग प्रेक्टिस में दो विषय पढाए जाते हैं और जेबीटी में सभी पांच विषय होते हैं।
उपरोक्त बिन्दुओं से पता चलता है कि जेबीटी और बीएड में दिन और रात का अन्तर है, जिसे एनसीटीई और शिक्षा विभाग को समझना चाहिए और जेबीटी के हितों को सुरक्षित रखना चाहिए। हिमाचल प्रदेश सरकार बहुत ही संवेदनशील सरकार है, जो प्रदेश की सभी जेबीटी प्रशिक्षुओं की भावनाओं को समझेगी और प्रदेश सरकार अपने विवेक के अनुसार फैसला लेकर प्रदेश में जेबीटी भर्ती में जेबीटी बालों को ही प्राथमिकता देगी, ताकि प्रदेश के सभी जेबीटी बालों के चेहरे पर नई लाली आऐं और वो प्रदेश में बेहतरीन प्राथमिक शिक्षा का उदाहरण पूरे देश के समक्ष प्रस्तुत कर सकें।