एचआरए के लालच में देहात की पढ़ाई चौपट, ग्रामीण क्षेत्र का एचआरए शहरी सीमा के स्कूलों से बहुत कम, अंतरजनपदीय व पदोन्नत हुए शिक्षक संशोधन के जुगाड़ में लगे (शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र के वर्ष 13, अंक संख्या-21, 17 दिसम्बर 2016 में प्रकाशित लेख का पुनः प्रकाशन)


शि.वा.ब्यूरो, मुरादाबाद। बेसिक स्कूलों में एचआरए का खेल शिक्षक-छात्र अनुपात बिगाड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों का हाउसिंग रेंटल एलाउंस (एचआरए) कम और शहरी क्षेत्र का ज्यादा होने से शिक्षक शहरी सीमा से सटे प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूलों में तबादलों के लिए जुगाड़ लगाने में जुट गए हैं। शहरी सीमा से सटे 8 किमी के दायरे में स्थित स्कूलों में तैनात शिक्षकों का एचआरए प्राइमरी के ग्रामीण शिक्षकों से 1620 रुपये व जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों का एचआरए 2275 रुपये ज्यादा है।
अंतरजनपदीय 125 व पदोन्नति के बाद 1373 शिक्षकों के तबादले अक्टूबर व नवंबर में हुए हैं। इन शिक्षकों को तबादला होने के दस दिन के भीतर ज्वाइन करना था। लेकिन 50 फीसद ने ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में ज्वाइन ही नहीं किया है। तबादलों में संशोधन कराने के लिए बीएसए कार्यालय में प्रार्थना पत्रों का ढेर लग गया है। प्राइमरी से जूनियर हाईस्कूल के सहायक शिक्षक पद पर पदोन्नत होने वाले 300 शिक्षकों ने अभी नए विद्यालय में ज्वाइन नहीं किया है। जबकि अंतरजनपदीय में 125 में नए स्कूल में ज्वाइन न करने वाले 70 शिक्षक संशोधन के जुगाड़ में लगे हैं। एचआरए के लालच में स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई चैपट हो रही है। ग्रामीण विद्यालयों में 100 बच्चों पर एक-एक शिक्षक हैं। ज्वाइन न करने वाले शिक्षक शिक्षा का अधिकार कानून 2009 का उल्लंघन कर रहे हैं।


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