वह अमर वीर योद्धा भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, जिसने हिलाकर रख दिया था ब्रिटिश साम्राज्य


(राज शर्मा "आनी"), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

वीर और अद्भुत शौर्य की भूमि भारतवर्ष में बहुत से सुरमाओं ने जन्म लिया और अपने बाहुबल से शत्रुदल पर अकेले हावी हुए। भारत के अनेकों ऐसे योद्धा हुए जिन्होंने ब्रिटिश काल में एक शेर की भांति अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया। सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था । 

स्वतंत्रता संग्राम के दौर में सुभाषचंद्र बोस के साहसी जीवन को देखकर उनके नाम से ब्रिटिश सरकार भी भयभीत थी। सुभाषचन्द्र बोस के द्वारा दिया गया जय हिंद का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन चुका था। ब्रिटिश सरकार को डर था कि अगर सुभाषचन्द्र बोस ज्यादा समय तक भारत के लोंगो को वीरता का पाठ पढ़ाते रहे तो उन्हे भारत से शीघ्र ही पलायन करना पड़ सकता है । इसलिए सन 1933 में सुभाषचन्द्र बोस को देश निकाला दे दिया। सुभाषचंद्र बोस यूरोप गए और वहां पर "इंडिपेंडेंस लीग ऑफ इंडिया" नामक क्रांतिकारी संगठन के सशक्त सदस्य बने। 

द्वितीय विश्वयुद्ध के चलते ,अंग्रेजों से लड़ने हेतु जापान की सहायता से आज़ाद हिंद फौज का गठन किया। सुभाषचंद्र बोस ने बर्लिन रेडियो से 17 जनवरी 1941 को बेहतरीन ऐतिहासिक सम्बोधन के जरिए ब्रिटिश राज को युद्ध के लिए खुली चुनौती दी।

सुभाषचंद्र बोस उस दौर के ऐसे योद्धा और सरल हृदय के व्यक्ति थे, जिनको भारत तो क्या विदेश के  बहुत से देश उनके शौर्य से प्रभावित होकर उनका भरसक सहयोग किया। 21 अक्टूबर 1943 को सुभाषचंद्र बोस ने आज़ाद हिंद फौज के उच्चतम सेनाध्यक्ष के रूप में स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी, जिसके चलते जर्मनी, जापान,कोरिया, चीन, इटली, आयरलैंड आदि देशों ने मान्यता प्रदान की। 1944 में आज़ाद हिंद फौज ने अंग्रेजों पर पुनः आक्रमण किया। 

भारत के कई क्षेत्र अंग्रेजो से मुक्त कर दिए थे। पूर्वी प्रान्त कोहिमा में महायुद्ध लड़ा गया जो 4 अप्रैल 1944 से लेकर 22 जून 1944 तक चला। इसी युद्ध में जापान को पीछे हटना पड़ा था।


सुभाषचंद्र बोस की वीरगति आज भी एक पहेली बनी हुई है 

जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को सुभाषचंद्र बोस के शहीद दिवस बड़े धूमधाम एवं विशेष आयोजनों के साथ मनाया जाता है । अनेक इतिहासकारों ने अपने प्रमाण में अनेक अवधारणाओं के तहत इस रहस्य को लिखा है । परन्तु सुभाषचंद्र बोस के निजी परिवार जनों का कहना है कि नेता जी सुभाषचंद्र बोस को 1945 में वीरगति प्राप्त हुई । कुछ भी हो परन्तु विश्व इतिहास में सुभाषचंद्र बोस का योगदान अवर्णनीय है जिनके तेवर से ब्रिटिश राज भी भय खाते थे । भारत माता के ऐसे वीर योद्धा को शत शत नमन ।

 

कुल्लू, हिमाचल प्रदेश

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