(टी सी ठाकुर), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
हिमाचल प्रदेश शिमला राजधानी मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर और जिला मुख्यालय से लगभग 130 किलोमीटर दूर हिमालय की गोद में इमला- बिमला नदी के किनारे बसा एक छोटा सा शहर है करसोग घाटी।
करसोग घाटी अपनी खूबसूरती, प्राचीन मंदिरों व त्यौहारों से भारतवर्ष सहित दुनिया भर के सैलानियों को आकर्षित कर सकता है। यहाँ का खुशनुमा मौसम, ठण्डी-ठण्डी हवाओं के यहाँ का प्रदूषण मुक्त वातावरण मन को मोह लेता है। करसोग घाटी में अनेक रमणीय स्थल है, जो सैलानियों को साल भर अपनी ओर खींच सकते है और मंत्र मुग्ध कर सकते है, जिसमें करसोग के निचले क्षेत्र ततापानी, बङेयोग,मांहुनाग,पांगणा, व चुराग की खूबसूरती देखने लायक है। उपरी क्षेत्र में चिण्डी, सेरी, स्यांज बगङा, धमून व च्वासी क्षेत्र का ह्दय स्थल च्वासीगढ़ जहाँ सैलानी सर्दियों में बर्फ की हसीन वादियों को निहार सकते है और गर्मियों में यहाँ के अनुकूल वातावरण सैलानियों को यहाँ बार बार आने को मजबूर कर देगा संपूर्ण करसोग घाटी में खूबसूरती का खजाना भरा पङा है।
करसोग घाटी की खूबसूरती के साथ साथ यहाँ पर प्राचीन देवी देवताओं के मंदिर है, जिनका संबंध महाभारत काल व राजशी काल से मिलता-जुलता है, जिसमें मुख्य श्री मम्लेश्वर महादेव जी का ममेल मंदिर है, जो महाभारत कालीन है, जिसमें 250 ग्राम का गेहूं का दाना और 5000 सालों से जलता आ रहा अखण्ड धूना है।
दूसरा श्री मूल माहुंनाग मंदिर बखारी कोठी माहुंनाग जिसको महाभारत में महारथी दानवीर कर्ण का अवतार माना जाता है।
करसोग घाटी में अनेक ऐसे प्रसिद्ध मंदिर है, जिसमें बहुत सारी शक्तियां व बहुत रहस्य छुपे हुए हैं। करसोग घाटी के मुख्य मंदिरों में श्री मम्लेश्वर महादेव ममेल, श्री कामाक्षा माता काऔ, श्री मूल माहुंनाग बखारी कोठी माहुंनाग, चिण्डी माता, महामाया जी पांगणा, देव श्री बडेयोगी जी, नाग धमूनी सेरी, सोमेश्वर महादेव जी सोमाकोठी, तेबनी महादेव तेबन, बैन्शी महादेव कोठी बगूंद, नाग च्वासी जी महोग और च्वासी सिद्ध बाबा च्वासीगढ़, करसोग घाटी की सबसे ऊंची चोटी पर विराजमान है। च्वासी सिद्ध बाबा और नाग धमूनी जी यह घाटी के प्रमुख प्राचीन मंदिर व शक्तिशाली व रहस्यमय मंदिर है।
करसोग घाटी अपनी खूबसूरती और प्राचीन मंदिरों के साथ साथ अपने त्यौहारों व मेलों से भी प्रसिद्ध है।
यहाँ हर महीने कुछ त्यौहार व मेले लगे होते है, जिसमें मुख्य है नलवाङ मेला करसोग, माहुंनाग मेला, प्रेता मेला दवाहङ, सेरी भन्जू, नाहवीधार मेला महोग ,व यहाँ के ठिरशु मेले व बूढ़ी दीवाली मुख्य बडे त्यौहार है। करसोग घाटी अपनी खूबसूरती के साथ साथ अपने रहस्यमय मंदिरों व त्यौहारों काफी प्रसिद्ध है व सैलानियों को आकर्षित कर सकता है करसोग घाटी में खूबसूरती के साथ यहाँ की संस्कृति बहुत समृद्ध है, जो कि यहाँ के प्राचीन मंदिरों व यहाँ की संस्कृति से झलक रही है।
संस्कृति के मर्मज्ञ डाॅक्टर जगदीश शर्मा पांगणा करसोग व बानीधार करसोग के युवा टीसी ठाकुर का कहना है कि गौरव की बात है कि भागम-भाग के इस दौर में करसोग वासियों ने अपनी प्राचीन धरोहरों को कायम रखा है। जरूरत है तो सरकारी व प्रशासनिक कार्यो की।
चवासी करसोग मण्डी हिमाचल प्रदेश
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