पंथ नहीं बस एक धर्म चाहिए (शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र के वर्ष: 12, अंकः37, 10 अप्रैल 2016 में प्रकाशित लेख का पुनः प्रकाशन)

(अमित जैन ''सिरफिरा'), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


पंथ नहीं बस एक धर्म चाहिए, प्रभु महावीर को बस जैन चाहिए
ना तेरह पंथी, ना बीस पंथी, ना दिगम्बर ना श्वेताम्बर
ना तारण तरण, ना सोनगढ़ और ना स्थानकवासी चाहिए
धर्म की एकता हमेशा बनी रहे, इसके लिए बस जैन चाहिए
जो एकता हमने मिलकर 24 अगस्त को दिखाई थी
पूरी समाज ने एक साथ उपस्थिति दर्ज कराई थी
वही एकता महावीर जयंती पर भी दिखाना चाहिए
भगवान महावीर का जन्मकल्याणक एक साथ मनाना चाहिए
मित्रों! अतिशय क्षेत्र मक्सी और अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ
हमारी आपसी फूट के उदाहरण हैं 
और गिरनार जी पर पंडो का कब्जा
हमारी एकता नही होने का कारण है
अभी भी अपने को नही जगाया तो बाद में हर जैन पछतायेगा
जब तीर्थराज सम्मेद शिखर जी भी हाथ से चला जायेगा
अभी देर नही हुई समय रहते जागना होगा
हम एक थे, एक हैं, और एक रहेगें सबको ये बतलाना होगा
तो साथ आईये! भगवान महावीर के जन्मकल्याणक को
एक साथ मिलकर मनाईये, एकता के इस संदेश को 
अपने मित्रों और रिश्तेदारों तक पहुॅचाईये


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