एक कुर्मी का दर्द

(कौशल किशोर आर्य), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

पिछले एक वर्ष से अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के दोनों गुट को एक करने की लगातार कोशिश पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ हम कर रहे हैं, पर अभी तक हमें कोई सफलता नहीं मिली है। अब मेरा धैर्य जबाब दे रहा है। दोनों गुट के पदाधिकारी गण अपने निजी स्वार्थ को पूरा करने के लिए अहंकार, झूठी आन, बान और शान कुर्मी समाज के बीच ही दिखा रहे हैं। यह बहुत ही दुःखद है। दोनों गुट में से ऐसा कोई जिम्मेदार पदाधिकारी नहीं, जो देश में कुर्मी समाज के बहु-बेटियों की इज्जत लूटी जाने पर अपनी आवाज बुलंद कर सके, कुर्मी समाज के किसी मित्र की हत्या किये जाने पर आवाज उठा सके, किसी कुर्मी समाज के मित्रों की सम्पति हड़पे जाने पर उनकी मदद कर सके।

जब भी हमने दोनों गुट के मित्रों को सुलह करने के लिए प्रस्ताव डाले, तब-तब हमें लोगो ने 2008 के हैदराबाद चुनाव, कार्यभार और अधिवेशन करने के मामले में उझलाने की कोशिश की गई और सुलह के प्रस्तावों पर विचार नहीं किया गया। हर दिन पिछले एक वर्ष से औसतन मेरा 4-6 घंटे लोगो को समझाने में बर्बाद हो रहा है। कोई भी व्यक्ति सुलह करने के प्रस्ताव पर बात ही नहीं कर रहे हैं। ऐसे में अब मेरा ऐसे गुंगे, बहरे, संवेदनाहीन और कुर्मी समाज संगठन के दुश्मन बने लोगों के साथ काम करना मुश्किल हो रहा है। 125 वर्ष पुराने संगठन अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के दोनों गुट में कहने के लिए प्रबुद्घ और बुद्धिजीवी वरिष्ठ लोग हैं, पर यह सिर्फ कहने के लिए ही है। इन दोनों गुट के में बैठे और देश के कुर्मी समाज के प्रबुद्घ और बुद्धिजीवी वरिष्ठ मित्रों को अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के एकीकरण करने में कोई दिलचस्पी ही नहीं है। अब अगर ऐसे में हम अपना और अपने परिवार के विकास करने वाले समय में से काटकर कुर्मी समाज और अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा समेत कुर्मी समाज के अन्य संगठनों को एक और मजबूत करने की बात करते हैं, सुलह करने की कोशिश करते हैं और कुर्मी समाज के कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति मेरी इस भावना को समझने के तैयार नहीं है। कुर्मी समाज के संगठनों को मजबूत, संगठित करने के लिए तैयार नहीं है। जरूरतमंद स्वजाति मित्रों को मदद करने के लिए तैयार नहीं है, कुर्मी समाज के लिए रचनात्मक, सकारात्मक कार्य करने और आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक, मानसिक और राजनैतिक रूप से कुर्मी समाज को आगे बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हो रहें हैं। ऐसे में मेरा ऐसे मुहिम को चलाने के लिए बने रहना बहुत ही मुश्किल हो रहा है। उस हालत में जब मेरे द्वारा सुलह की कोशिश किये जाने पर मुझे अपशब्दों और गंदी गंदी गालियाँ फेसबुक और वाट्स एप्प ग्रुपों में दिया जाना बहुत ही दुःखद,आश्चर्यजनक और शर्मनाक रहा। आखिर हम क्यों और किसलिए अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के दोनों गुट को एक करने की बात कर रहे हैं? 

 

अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के दोनों गुट दो गुटों में बंटकर काम कर रहा है, इससे मेरा व्यक्ति क्या नुकसान हो रहा है? 

आज या कल दोनों गुट एक हो जाएगा तो मेरा व्यक्तिगत क्या लाभ हो जाएगा?   

देश के कुर्मी समाज के लोग दोनों गुटों में से किसी असली और अवैध माने? 

देश के कुर्मी समाज के मित्र दोनों गुटों को सही माने या किसी एक हो? 

देश के कुर्मी समाज के मित्र दोनों गुटों को अवैध और नकली माने या किसी एक गुट को? 

125 वर्ष के पुराने संगठन अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के निजी स्वार्थ को पूरा करने के लिए दो फाड़ किये जाने से देश के कुर्मी समाज दो गुटों में बंट चुका है इसका दोषी कौन है? 

अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के दो गुट में बंदरबांट से देश के कुर्मी समाज को जो आर्थिक, शैक्षणिक, बौद्धिक, मानसिक और राजनैतिक स्तर पर जो नुकसान हो रहा है इसका भरपाई क्या ये दोनों गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारी करेंगे? 

देश के कुर्मी समाज के हमारे प्रबुद्घ और बुद्धिजीवी वरिष्ठ मित्रों को ये दोनों गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारी द्वारा अहंकार में आकर किये जा रहे कुर्मी समाज को बांटने, तोड़ने वाले दुस्साहस आखिर क्यों नहीं दिखाई दे रही है? 

इन दोनों गुट के पदाधिकारी गण को मनमानी करने के लिए, देश के कुर्मी समाज को बांटने के लिए, आपस में द्वेष फैलाने के लिए आखिर छूट क्यों दी गई है? 

क्या ये दोनों गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय महासचिव और कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारी गण बिना पद पाये कुर्मी समाज के उत्थान के लिए कार्य नहीं कर सकते हैं? अगर बिना पद पाये कुर्मी समाज के कोई मित्र कार्य नहीं कर सकते हैं तो धिक्कार है।

         हमें इस बात का अफसोस रहेगा कि हमने अपना एक वर्ष गलत लोगों और कुर्मी समाज के संगठन को गलत तरीके और असंवैधानिक रुप से चलाने वाले नासमझ लोगो को समझाने के लिए अपनी ऊर्जा को बर्बाद कर दिया। 

 

संस्थापक, राष्ट्रीय समता महासंघ 

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