(राजेश सारस्वत), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मैं खो जाऊंगा कहीँ
रे साथी तुम मुझे वापिस लाना
मुझमें रहता है कोई
ढूँढने मैं चला जिसे
न इधर न उधर
जाऊँ मैं किधर
ख़ुद ही में न पा सका
न कहीँ मैं जा सका
मैं खो जाऊंगा कहीँ
रे साथी तुम मुझे वापिस लाना।
ख़ुद ही को था
ख़ुद ही में पाना
तू मिल गया बहाना
ख्वाब ही में था सब
हकीकत भी था फसाना
हुआ जग बौरी
बैनर जमाना
मैं खो जाऊंगा कहीँ
रे साथी तुम मुझे वापिस लाना।
बहुत हुआ अब आ जाने को
कहता है मन तुझमें समा जाने को
ये बहाने ये फ़साने छोड़ कर
कसमे वादे निभाने को
तू मुझमें मैं तुझमें खो जाऊँ
अब तेरा ही हो जाऊं
मैं खो जाऊंगा कहीँ
रे साथी तुम मुझे वापिस लाना।
हिमाचल प्रदेश