(राजेश पुरोहित), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
आओ हम आपसी रंजिश मिटा दे।
फिर से मोहब्बत का दिया जला दें।।
पाक रहे हम गंगाजल की तरह से।
रगों में सिर्फ अपने भारत बसा दें।।
सरहदें यूँ ही कायम रहे सदियों से।
सारे हिन्दुस्तान को जन्नत बना दें।।
गाँधी कलाम का वतन है प्यारा ये।
आओ इसे रोशन कर जगमगा दें।।
मजहबी फसाद से तबाही है होती।
अब इंसानियत को मजहब बना दें।।
कवि
भवानीमंडी