करवाचैथ का एक पहलू ये भी


(प्रभाकर सिंह), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


हमारे देश में अंधविश्वासों की कमी नहीं हैं और उससे ज्यादा झूठे व्रत एवं त्यौहार का भंडार लगा हुआ है। इसी श्रंखला में एक स्पेशल औरतों का व्रत या मानों औरतों का स्पेशल त्यौहार है, करवा चौथ का व्रत।  जिसके बारे में कहा जाता है कि यह वर्ण व्यवस्था मानने वालों यानि हिन्दुत्ववादी लोगों की औरतों का त्यौहार है। ब्राह्मणों ने बताया हुआ है कि इसके मानने वाली स्त्री के पतियों की आय लम्बी हो जाती है।
जानकारों की मानें तो करवा चौथ हजारों वर्ष पुराने समय से मनाया जा रहा है, तो क्या कोई पति 500 साल से जो जीवित है? जहाँ भी देखें वहाँ विधवाओं की संख्या ज्यादा मिलती है ऐसा क्यों ? आखिर सच्चाई क्या हो सकती है जो केवल मात्र औरतों को ऐसे त्यौहार को मानने हेतु बाध्य किया गया?



एक अध्ययन के बाद सामने आया कि आर्य ब्राह्मण विदेशी आक्रमणकारियों के रूप में आये और मर चुके या पराजित मूलनिवासियों अनार्य लोगों की स्त्रियों को बंदी या दासी बनाकर उन्हें प्रजनन हेतु इस्तेमाल करने लगे। जाति व्यवस्था बनी रहे, इसके लिए बाल विवाह और सतीप्रथा लागू करके उसे सनातनी धर्म का जामा पहना दिया। आर्यों-ब्राह्मणों को यह डर अक्सर रहता था कि विधवा औरतें दूसरी शादी किसी अन्य जाति के पुरुषों से करने लग गयी तो जाति व्यवस्था खतरे में पड जाएगी और ब्राह्मणों के लिए संकट पैदा हो सकते हैं। कोई भी औरत जलना नहीं चाहती, उसे उत्साहित करने हेतु करवाचौथ शुरू किया। उसमें यह बताया गया कि पति पत्नी का सातों जन्म का रिश्ता होता है। यदि पत्नी-पति के साथ जल मरती है तो उनकी आत्माओं को भटकना नहीं पड़ता। सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। चाहे ये पति तुझको रोजाना दारू पीकर पीटने का काम करता हो यही पति तुझे अगले जन्म में मिलना चाहिए, इसीलिए करवा चौथ चलाया तथ उल्लेख किया कि जो औरत जलायी जाने वाली हो यानि सती होने में तैयार हो जाए। तब वहाँ जोरजोर से ढोल नगाड़े बजाने चाहिए ताकि उसके दर्द को अन्य औरत नहीं सुनें। यदि उसके दर्द को कोई सुन लेगी तो वह सतीप्रथा के विरोध में मीराबाई की तरह किसी रैदास या रविदास चमार को गुरू बनाकर ब्राह्मणों के विरोध में समता समानता का आंदोलन चला सकती है।
करवा चौथ मनाने का एक अन्य कारण भी सामने आया कि जब आर्यों ब्राह्मणों ने मूलनिवासियों की पत्नियों के साथ बलात्कार करने की इच्छा जाहिर की। तो मूलनिवासियों की औरतों विरोध किया, तो उनके पतियों को बंदी बनाकर उनकी औरतों को कहते-यदि तुम सुहागरात की सुहागिन की तरह सज संवर कर हमारा बिस्तर गर्म करेगी तो तेरे पति की आयु लम्बी होगी अर्थात् तेरे पति की जान बक्ख दी जाएगी। यह धमकी थी, कोई व्रत त्यौहार नहीं था, यह एक घिनौनी और स्त्री जाति के अपमान की कहानी थी। जिसका रूप ब्राह्मणों ने बदल दिया और मूलनिवासियों की औरतों को उल्लू बनाकर उसे व्रत व त्यौहार के नाम से प्रचलित करा दिया।
कर वा चौथ का सही अर्थ है कर यानि लगान , वा यानि  अथवा या अन्यथा, चौथ यानि हफ्ता वसूली देह शोषण के लिए अर्थात् इसका सीधा सादा मतलब है कि लगान भरो या फिर अपनी औरतों से चौथ वसूली करवाने की तैयारी करो। यानि अपनी औरतों के बलात्कार के दर्द को सहने की तैयारी करलें। यही संदेश मूलनिवासियों के लिए आर्य ब्राह्मणों ने करवा चौथ  के माध्यम से छोड़ा था।
रिसर्च स्कॉलर इलाहाबाद विश्वविद्यालय 


Post a Comment

Previous Post Next Post