जंगल की इज्जत 


(मुकेश कुमार ऋषि वर्मा), शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।






सारा आदिवासी समुदाय फ़ॉरेस्ट ऑफिसर के अत्याचारों से कराह रहा था। वो जब भी जंगल में राउंड मारने आता, तब ही उसे एक नई लड़की चाहिए होती। जंगल की इज्ज़त खतरे में पड़ गई। इस बार उसकी नजर हिरनो पर पड़ी। हिरनो साँवली जरूर थी, पर उसके जैसा सुंदर - भरा हुआ बदन शायद ही पूरे आदिवासी समुदाय की किसी लड़की का हो। उसकी सुंदरता पर लट्टू होकर ही फिल्मनिर्माता रघुवर कपूर ने उसे अपनी आगामी फिल्म ऑफर की थी, परन्तु हिरनो अपना गाँव नहीं छोड़ना चाहती थी और इसी वजह से उसने रघुवर कपूर का ऑफर ठुकरा दिया। खैर रघुवर कपूर अपना प्रोजेक्ट पूरा करके मुंबई चले गये और जाते-जाते अपना कार्ड दे गये, ताकि जब कभी हिरनो का मन फिरे तो वह सीधे मुंबई चली आये, लेकिन हिरनो का मन कभी फिरा नहीं।

देर रात चार-पाँच जल्लाद खाकी पहने, नकाब से चेहरा ढके हिरनो की झोपड़ी में कूद गये और उसे जबरन उठाकर फोरेस्ट अॉफीसर के सामने पटक दिया। सारी रात सरकारी गैस्ट हाउस हिरनो की दर्दभरी चीखों से गूंजता रहा। सुबह उसकी लाश झरने के पानी में तैरती हुई देखी गई।

पुलिस रिकार्ड के अनुसार, हिरनो जब झरने से पानी लेने गई होगी तब उसका पैर फिसल गया होगा और वो गहरे पानी में चली गई होगी। इस तरह पानी में डूबने से उसकी मृत्यु हो गई और इसी के साथ हिरनो की फाइल बंद हो गई। न जाने ऐसी कितनी अनगिनत हिरनो सरकारी फाइलों में दबकर दफन हो चुकी हैं , लेकिन जंगल की इज्जत के साथ यह खेल आज भी अनवरत चल रहा है और पता नहीं ये कब तक चलता रहेगा।

 

ग्राम रिहावली, डाक तारौली गूजर, 
फतेहाबाद, आगरा, 283111





Comments