शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। एसडी कालेज ऑफ इन्जिनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी में संस्कार भारती (सृजन) द्वारा दीपोत्सव के आगमन पूर्व संस्कार भारती परिवार मिलन समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर एसडी कालेज ऑफ इन्जिनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी के बीटेक एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राओं द्वारा रंगोली, दीपक सज्जा, भारतीय व्यंजन, पार्लर्स, तम्बोला, लकी ड्रा प्रतिस्पर्धा व सेल्फी पार्लर लगाये गये। इस अवसर पर भारतीय त्यौहारों, उत्सव व संस्कार सृजन विषयक विचार गोष्ठी भी आयोजित की गई। विचार गोष्ठी का शुभारंभ संस्कार भारती मेरठ प्रान्त के प्रमुख महेन्द्र आचार्य, विधा प्रमुख डा0 अ0 कीर्तिवर्धन एवं संस्कार भारती (सृजन) के संरक्षक डा0 एसएन चौहान ने संयुक्त रूप से सरस्वती माँ के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया।
इस अवसर पर महेन्द्र आचार्य ने संस्कार भारती के गठन एवं उददेश्यों पर प्रकाश डालते हुये बताया कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को जन जन तक पहुँचाने के उददेश्य से वर्ष में छह उत्सव आवश्यक रूप से मनाये जाते है, जिनमें दीपोत्सव भी एक है। डा0 अ0 कीर्तिवर्धन ने संस्कार भारती (सृजन) इकाई को साहित्य, संगीत और पर्यावरण को समर्पित करते हुये कहा कि यह इकाई अपने सदस्यों एवं पदाधिकारीयों के माध्यम से कार्यक्रम आयोजित कर संस्कारों की अलख जगाने के लिये साहित्यिक चर्चा संगीत एवं पर्यावरण विषयक मुददों को ध्यान में रखकर भारतीय परंपराओं एवं संस्कारों के अनवरत प्रवाह के लिये कटिबद्ध है।
संस्कार भारती (सृजन) के संरक्षक डा0 एसएन चौहान ने कहा कि कोई भी समाज अथवा राष्ट्र अपनी संस्कृति एवं संस्कारों को भुलाकर जीवित नही रह सकता है। भारतीय संस्कृति विश्व की पुरातन संस्कृतियों में से एक है। जिसका मूल है वसुधैव कुटुम्बकम। सर्वे भवन्तु सुखिनः भी भारतीय संस्कृति का बीज मंत्र है, लेकिन विगत शताब्दी में भारतीय जनमानस में अपनी संस्कृति एवं संस्कारों के प्रति आस्था एवं विश्वास में क्षरण हुआ है। आज संस्कार भारती (सृजन) जैसी संस्थाऐं विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों की पुर्नस्थापना में संलग्न है और यह प्रत्येक भारतीय का दायित्व है कि हम अपनी संस्कृति को आत्मसात करें जो दिव्य है, विशिष्ट है एवं अनुकरणीय है।
संस्थान के प्राचार्य डा0 एके गौतम ने कहा कि संस्कार संस्कृत का शब्द है जिसका तात्पर्य है संस्कृत करना या शुद्ध करना। किसी भी साधारण व्यक्ति या विकृत वस्तु को शुद्ध एवं उपयोगी बनाना सुसंस्कृत करना या संस्कारित करना है। ईश प्रार्थना, प्रकृति का आदर, माता-पिता, बुजुर्गों का सम्मान ये ऐसे संस्कार है जो मनुष्य को विकृति से सुकृति की ओर ले जाते है। अतः ऐसे संस्कारों को हमें अपने आचरण में लाना चाहिये।
संस्कार भारती (सृजन) की उपाध्यक्ष प्रतिभा त्रिपाठी, सचिन, पंकज शर्मा, कोषाध्यक्ष विकुल शर्मा, मातृशक्ति सुमन प्रभा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम की संयोजक पारूल गुप्ता ने प्रतियोगिता में विजयी छात्रों के नामों की घोषणा की। रंगोली प्रतियोगिता में नेहा, साक्षी पुंडीर, श्रुति गर्ग, उर्वशी, अनुष्का विजयी रही। दीप सज्जा प्रतिस्पर्धा में अर्पिता, नेहा सिंह व श्रेया विजयी रही। कार्यक्रम में डा0 पारेश कुमार, डा0 योगेश कुमार शर्मा, डा0 नितिन गुप्ता, सचिन संगल, जितेन्द्र कुमार, डा0 संदीप कुमार, दीपशिखा, शिवानी कौशिक, मनोज कुमार, धीरज कुमार, गोपाल, आकाश कुमार आदि का योगदान रहा।