असम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग ने संस्कृत दिवस मनाया

मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। असम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग ने संस्कृत दिवस मनाया। विश्व संस्कृत दिवस श्रावणी पूर्णिमा और रक्षा बंधन के पावन अवसर पर मनाया जाता है। इस अवसर पर, असम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग ने संस्कृत सप्ताह का समापन कर संस्कृत दिवस मनाया। कार्यक्रम में असम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. राजीव मोहन पंत, भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र के निदेशक डॉ. गंगाभूषण एम., रवींद्रनाथ टैगोर भारतीय भाषा एवं सांस्कृतिक अध्ययन विद्यालय के डीन अजीत कुमार वैश्य, संस्कृत विभाग की पूर्व अध्यक्ष स्निग्धा दास रॉय, संस्कृत विभाग की अध्यक्ष डॉ. शांति पोखरेल और विभागाध्यक्ष डॉ. गोविंदा शर्मा उपस्थित थे। हिंदी, बंगाली और अन्य विभागों के प्रोफेसर भी उपस्थित थे। ब्रह्मज्योति महिला संगठन, सिलचर के अन्य लोग भी उपस्थित थे। गुरुचरण विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और छात्र भी उपस्थित थे। विभागीय प्राध्यापक डॉ. गोविंदा शर्मा ने उत्तरीय देकर विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया। विभागीय शोधकर्ता सुप्रिया चौबे ने वैदिक मंगलाचरण और स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर की छात्रा जोयिता चक्रवर्ती ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। तत्पश्चात, संस्कृत विभाग की डीन शांति पोखरेल ने स्वागत भाषण देकर अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने आधुनिक युग में संस्कृत के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर विशेष भाषण भी दिया। असम विश्वविद्यालय के भारतीय ज्ञान विरासत केंद्र के निदेशक एम. गंगाभूषण ने कहा कि संस्कृत केवल हिंदू धर्म की भाषा ही नहीं, बल्कि ज्ञान का सबसे बड़ा भंडार है। उन्होंने मंत्रोच्चार की वैज्ञानिकता पर भी बात की। तत्पश्चात, डीन अजीत कुमार वैश्य ने भाषण दिया।

संस्कृत विभाग द्वारा राखी बंधन का भी आयोजन किया गया। तत्पश्चात, उपस्थित अतिथियों द्वारा विभागीय पत्रिका बागीश्वरी (29वां खंड) का लोकार्पण किया गया। तत्पश्चात, संस्कृत विभाग की नवनियुक्त प्राध्यापक डॉ. स्निग्धा दास रॉय ने अपने भाषण में संस्कृत विभाग के प्राचीन और वर्तमान दिनों के बारे में कुछ बातें सामने आईं। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा में संस्कृत भाषा की भव्यता और समृद्धि के बारे में भी बताया। इसके बाद स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के छात्र सौरव नाथ ने संगीत प्रस्तुत किया।
संस्कृत विभाग में 6 अगस्त से 12 अगस्त तक आयोजित सरल संस्कृत संभाषण कक्षा में उपस्थित छात्राओं ने अपने अनुभव साझा किए। ललिता, स्नेहा, सुनीता आदि ने अपने अनुभव साझा किए। उपस्थित अतिथियों ने कक्षा में भाग लेने वाली छात्राओं को प्रमाण पत्र प्रदान किए। इसके बाद, असम विश्वविद्यालय के कुलपति राजीव मोहन पंत ने अपना भाषण दिया। उनके भाषण में संस्कृत भाषा और भारतीय विरासत, भारतीय ज्ञान परंपरा में संस्कृत का समावेश आदि मुद्दे उठाए गए। विभागाध्यक्ष डॉ. गोविंदा शर्मा ने उपस्थित सभी का धन्यवाद किया। मुख्य कार्यक्रम यहीं समाप्त हुआ। पूरे कार्यक्रम का संचालन विभागीय शोधकर्ता विक्रम विश्वास ने किया।
इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हुआ। सिलचर महिला महाविद्यालय की प्रोफेसर नृत्येंदु विकास दास ने संगीत प्रस्तुत किया। संस्कृत विभाग की शोधकर्ता तानिया पेन ने गणेश वंदना पर नृत्य प्रस्तुत किया। स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने सखी संभाषण और दुर्वाणी संभाषण प्रस्तुत किया। सरल संस्कृत संभाषण कक्षा में भाग ले रहे कुछ विद्यार्थियों ने एक लघु नाटक प्रस्तुत किया। इसके अतिरिक्त, संस्कृत विभाग की पूर्व छात्रा सुष्मिता चक्रवर्ती ने नृत्य प्रस्तुत किया। प्रदर्शन कला विभाग की शोधार्थी सायंतनी और मोतीकृष्ण ने संगीत प्रस्तुत किया। गुरुचरण विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का समापन सामूहिक गान और ओइक्या मंत्र के उच्चारण के साथ हुआ।

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