शि.वा.ब्यूरो, खतौली। राजस्व विभाग की असंवेदनशीलता और खुद मजिस्ट्रेट होते हुए भी अदालत का मजाक उड़ाने का मामला सामने आया है। तहसील क्षेत्र के गांव बडसू निवासी पूर्ण रूप से अंधे एक व्यक्ति कंवरपाल ने तहसीलदार सतीश बघेल पर आरोप लगाया कि उन्होंने मामला न्यायालय में लम्बित होने के बावजूद भूमाफियाओं से साज खाकर उनकी जमीन का दाखिल कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने पीड़ित से ज्ञापन भी लेने से इंकार कर दिया। वह तहसील में धरना देकर बैठा रहा, लेकिन उसकी फरियाद किसी ने नहीं सुनी।
निकटवर्ती गांव बडसू निवासी कंवर पाल ने बताया कि वह सौ प्रतिशत अंधा है और मजदूरी करके किसी तरह अपने बच्चोें का लालन-पोषण कर रहा है। पीड़ित कंवरपाल ने बताया कि उसने कुछ महिने पहले अपने बच्चों की शादी के लिए दो लाख रूपये अपने भाई राजेन्द्र के माध्यम से गांव सिकंदरपुर निवासी राजीव से ब्याज पर लिये थे, जिसके बदले में उन्होंने कुछ कागजों पर उससे अंगूठा भी लगवाया था। इसके बाद उन्होंने स्थानीय बैंक आॅफ बडोदा में उसका खाता खुलवा दिया था और दो दिन बाद बैंक से पैसे लेने की बात कही। पीड़ित कंवरपाल ने बताया कि जब दो दिन बाद वह पैसे लेने बैंक पहुंचा तो उसे पता चला कि उसके खाते में तीस लाख रूपये जमा कराये गये हैं। जब घर आकर उसने अपने भाई राजेन्द्र व राजीव से कहा कि उसने तो केवल दो लाख रूपये ही मांगे थे, तो उन्होंने उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। बाद में उसे पता चला के राजीव ने धोखे से उसकी पांच बीघे जमीन का बैनामा करा दिया है। पीड़ित ने बताया कि इस बाबत उसने अफसरों से जमीन वापिस कराने की गुहार भी लगायी, लेकिन कोई नतीजा न निकलता देख सिविल न्यायालय में वाद दाखिल करके दाखिल खारिज पर रोक लगाने की मांग की। न्यायालय ने तहसीलदार को दाखिल खारिज नहीं करने के आदेश भी कर दिये थे। उक्त वाद वर्तमान भी सिविल जज और तहसीलदार की कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन तहसीलदार सतीश बघेल ने आरोपियों से साज खाकर उनके हक में दाखिल खारिज कर दिया है।
तहसील परिसर में धरने पर बैठे पीड़ित पूर्ण अंध कंवरपाल, उसकी पत्नी ओमकली, पुत्र लोकेश व शोकेश व रिश्तेदार नीरज व राजकुमार ने कहा कि अंधे की जमीन उसे वापिस नहीं मिली तो वह अपने परिवार का पालन कैसे करेगा? पीड़ित ने चेतावनी दी कि अगर उसे न्याय नहीं मिला तो आत्मदाह करने पर मजबूर होगा। इसके विपरीत तहसीलदार सतीश बघेल का कहना है कि उन्होंने जो भी किया है, वह नियमानुसार ही किया है।
तहसील से जुड़े सूत्रों ने अपना नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर शिक्षा वाहिनी को बताया कि तहसीलदार सतीश बघेल का जनपद से बाहर स्थानान्तरण हो चुका है और वे चार्ज छोड़ने से पहले मोटी कमाई करने के चक्कर में इस तरह के कार्य को अंजाम दे रहे हैं। इसी के चलते उन्होंने विवादित भूमि का दाखिल खारिज भी करा दिया है।