श्री बालाजी हनुमान चालीसा

पं. दुर्गा प्रसाद शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
श्री गणनायक गणपति ,गुप्तेश्वरभगवान ।
चारधाम के देवसभी ,हृदयविराजौ आन ।।
ऐसी मति मोहि दीजिये , दास आपुनो जान ,
बालाजी हनुमान के ,यश का करहुँ बखान।।
जय जय हनुमत दीन दयाला ,
पवन पूत अंजनि के लाला ।1। 
जय हरि केहरि अति बलवाना , 
रामदूत गुण ज्ञान निधाना ।2। 
जगत्वंद्य जगदीस कृपाला ,
तिहुँ पुर तीनि काल रखवाला ।3.  
बालि अनुज के सचिव सयाना , 
दास सिरोमनि गत अभिमाना ।4 
शक्ति भक्ति के तुम अवतारी ,
दुख भय दैन्य निवारण हारी ।5.
चैत पूर्णिमा तिथि सुखकारी ,
तेहि वासर प्रगटे अविकारी ।6.
 जेहि पुर आपु बनायहु थाना , 
महावीर वर कपि हनुमाना ।7. 
ते सब होइहिं पावन धामा , 
सकल लोक दायक विश्रामा8 
भूत प्रेत सब डर कर भागे ,
अलिगण निज सुभाव तहँ त्यागे। 9
 राहु केतु दोउ थर थर काँपे , 
मंगल सनि निसिदिनजेहिजापे ।10    
निपुण होत जहँ निर अनजाना ,
 निबल सबल निरधन धनवाना11
कलियुग सिद्ध देव नहिं आना ,
बालवीर बजरंग समाना ।12
पंचमुखी सुंदर छबि वाले ,
बल बुधि तेज बढ़ाने वाले ।13
  अजर अमर हनुमंत हठीले , 
समरथ सब विधि राम रंगीले ।14
   तुम्हरे चरित परम हितकारी ,
मधुर मनोहर मंगलकारी ।15 
निज मुख जेहि राखै कपि ईसा ,
 ज्ञान पाइ तेहि नायउ सीसा ।16 
सत जोजन सागर विस्तारा , 
गोपद इव लाँघउ पय पारा ।17 
बुधि बल ते सुरसा हरसाई ,
बाहु बलन लंकिनी अकुलाई 18
बाग उजारि लंकहीं जारी , 
 सीता सुधि लाये नभचारी ।19
 लागि  शक्ति भये शेष अचेता ,
 लाय सजीवन कीन्ह सचेता ।20
 अक्षय अहिरावण के अंता ,
 कालनेमि रावण मद हन्ता ।21
 अमित वेग बल विक्रम वाला , 
मारुति महावीर मतवाला ।22 
अरि मरदन निसिचर संहारी ,
पर्वत पेड़ गदा गिरधारी ।23 
अर्जुन भीम चक्र  उरगारी ,
बल अभिमान पराभव कारी ।24
  जदपि विभीषण है कुलद्रोही ,
तव संगति सबकर प्रिय सोही 25
  वातजात गुण सिंधु अथाहा ,
पार उतरि जनु जे अवगाहा ।26
 पवनतनय ओ पिंगल लोचन ,
भव भयभंजन सोच विमोचन27
  मंदिर मंदिर झाँकी थारी ,
दरसन पाय मुदित नर नारी ।28
दुर्जन कहँ तुम कठिन कराला ,
 काल नाग कालहु के काला ।29 
सज्जन कहँ मृदु मूरत वाला , 
प्रतिपल के तुम हो प्रतिपाला 30 
गाँव गाँव खेड़ापति राजे ,
जन जन हिरदै आप विराजे 31।
कपि कुंजर कपि ध्वज बनसाजे , 
भारत रण अर्जुन रथ राजे ।32
 यह जग कपटजाल का घेरा ,
चहुँ दिसि छाया सघन अंधेरा 33
बाल अरुण जस है तव रूपा ,
बिनुअस तेजस यह न विरूपा34  
भौम सनी चोला चढ़वावे ,
धूप देय अरु होम करावे ।35 
चना चिरौंजी भोग लगावे ,
ते नर सफल काम हो जावे ।36 
बाबा बल यश गाया जाता ,
वही काण्ड सुन्दर कहलाता ।37 
मेरी पत राखौ हनुमन्ता ,
कवि कपिराज वीर बलवन्ता 38 
संकट मोचक सम्मति दायक ,
करहु मोहि सब विधि सबलायक 39
 करहु कृपा तन मन धन स्वामी,
सत् सत् बार नमामि नमामी ।40
सिद्धि बुद्धि मय परम गुरु, वरदायक हनुमान। 
बरसहु सुख आनन्द बहु ,सब जग एक समान।।
सेवानिवृत्त व्याख्याता नलखेड़ा (आगर) मालवा मध्यप्रदेश

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