संख्याओं का स्वराज (राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 29 जून पर विशेष)

डॉ.शैलेश शुक्ला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
विज्ञान जहाँ मौन हो जाताआंकड़ों का स्वर गूंजे,
यथार्थ जहाँ छुपा रहेवहाँ सांख्यिकी खोजें।
शब्दों से जो  कह सकेंवो अंक करें उद्घाटन,
सच को नापातौला जिसनेवो है आँकड़ों का वितान।
सच्चाई के सूक्ष्म रेखजो देखे अदृश्य सृष्टियों में,
नीतियों की नींव बने जोहर विकास की दृष्टियों में।
किसने कितनी पीड़ा झेलीकिसने पाया सम्मान,
कहते नहीं ये केवल भावकहे आँकड़ों का विज्ञान।
महान थे प्रोफेसर महालनोबिसजिनकी अमूल्य देन रही
सांख्यिकी के क्षेत्र में भारत को मिली दिशा उनसे सही
उनकी सोचउनकी दृष्टि ने देश को एक राह दिखाई,
नियोजनआँकड़े और विश्लेषण की गहरी परतें सिखलाईं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवसएक श्रद्धांजलि का दिवस
जब हम सब निहारते आँकड़ों के युगपुरुष का यश
उनका योगदान निहित है हर नीति मेंहर नियोजन में,
हर निर्णय की जड़ में बैठीहर गणना के प्रयोजन में।
कृषि से उद्योगों तकशिक्षा से स्वास्थ्य तक,
हर क्षेत्र की गहराइयों मेंआँकड़ों की है दस्तक।
बिना आंकड़ों के निर्णय क्याबस अनुमान की नाव,
जो डूब सके हर तूफान मेंहो जाए दिशाहीन प्रभाव।
तो गाते चलो यह गानआँकड़ों के मान में,
हर क्षेत्र की रचना हो आधारभूत ज्ञान में।
आगे बढ़ेगा भारत जब हर निर्णय होगा स्पष्ट,
तथ्य की आँखों से देखकर मिटेगा भ्रम का कष्ट।
जहाँ गिनती से बनते सपनेऔर आँकड़े कहते हाल,
वहीं जन्म लेती है वह विद्याजो करती यथार्थ का भाल।
नभ में उड़ती योजनाएँजब धरती पर उतरेंगी,
तो सांख्यिकी की सीढ़ियाँ हीउनके पंख संवरेंगी।
अर्थव्यवस्था का रूप दिखेगाजब आँकड़े होंगे पास,
वरना कल्पना की दुनिया मेंखो जाएगा विकास।
राशन कार्ड से लेकर वोटों तकशिक्षा से उत्पादन,
हर क्षेत्र में बहती आँकड़ों की अदृश्य धाराएं अनन्य।
प्रोफेसर महालनोबिस की दृष्टि में था वो तेज,
जिसने आंकड़ों के महत्व को दी एक नई सेज
सैम्पल सर्वे का आधार रचाजो बना नीति का मूल,
हर योजना की रीढ़ बनीआँकड़ों की वह धूल।
उन्होंने ही रचा वह स्वप्न, ‘प्लानिंग कमीशन का नाम,
जहाँ विचार नहींप्रमाण होहो डेटा का ही काम।
पंचवर्षीय योजना में झलके उनके चिंतन के बीज,
हर नीति में उन्होंने डाली आँकड़ों की सही तमीज।
लेखक, पत्रकार, साहित्यकार एवं वैश्विक समूह संपादक, सृजन संसार अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समूह
आशियाना (लखनऊ) उत्तर प्रदेश

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