डॉ.शैलेश शुक्ला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
विज्ञान जहाँ मौन हो जाता, आंकड़ों का स्वर गूंजे,
यथार्थ जहाँ छुपा रहे, वहाँ सांख्यिकी खोजें।
शब्दों से जो न कह सकें, वो अंक करें उद्घाटन,
सच को नापा, तौला जिसने, वो है आँकड़ों का वितान।
सच्चाई के सूक्ष्म रेख, जो देखे अदृश्य सृष्टियों में,
नीतियों की नींव बने जो, हर विकास की दृष्टियों में।
किसने कितनी पीड़ा झेली, किसने पाया सम्मान,
कहते नहीं ये केवल भाव, कहे आँकड़ों का विज्ञान।
महान थे प्रोफेसर महालनोबिस, जिनकी अमूल्य देन रही
सांख्यिकी के क्षेत्र में भारत को मिली दिशा उनसे सही
उनकी सोच, उनकी दृष्टि ने देश को एक राह दिखाई,
नियोजन, आँकड़े और विश्लेषण की गहरी परतें सिखलाईं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस, एक श्रद्धांजलि का दिवस
जब हम सब निहारते आँकड़ों के युगपुरुष का यश
उनका योगदान निहित है हर नीति में, हर नियोजन में,
हर निर्णय की जड़ में बैठी, हर गणना के प्रयोजन में।
कृषि से उद्योगों तक, शिक्षा से स्वास्थ्य तक,
हर क्षेत्र की गहराइयों में, आँकड़ों की है दस्तक।
बिना आंकड़ों के निर्णय क्या? बस अनुमान की नाव,
जो डूब सके हर तूफान में, हो जाए दिशाहीन प्रभाव।
तो गाते चलो यह गान, आँकड़ों के मान में,
हर क्षेत्र की रचना हो आधारभूत ज्ञान में।
आगे बढ़ेगा भारत जब हर निर्णय होगा स्पष्ट,
तथ्य की आँखों से देखकर मिटेगा भ्रम का कष्ट।
जहाँ गिनती से बनते सपने, और आँकड़े कहते हाल,
वहीं जन्म लेती है वह विद्या, जो करती यथार्थ का भाल।
नभ में उड़ती योजनाएँ, जब धरती पर उतरेंगी,
तो सांख्यिकी की सीढ़ियाँ ही, उनके पंख संवरेंगी।
अर्थव्यवस्था का रूप दिखेगा, जब आँकड़े होंगे पास,
वरना कल्पना की दुनिया में, खो जाएगा विकास।
राशन कार्ड से लेकर वोटों तक, शिक्षा से उत्पादन,
हर क्षेत्र में बहती आँकड़ों की अदृश्य धाराएं अनन्य।
प्रोफेसर महालनोबिस की दृष्टि में था वो तेज,
जिसने आंकड़ों के महत्व को दी एक नई सेज
सैम्पल सर्वे का आधार रचा, जो बना नीति का मूल,
हर योजना की रीढ़ बनी, आँकड़ों की वह धूल।
उन्होंने ही रचा वह स्वप्न, ‘प्लानिंग कमीशन’ का नाम,
जहाँ विचार नहीं, प्रमाण हो, हो डेटा का ही काम।
पंचवर्षीय योजना में झलके उनके चिंतन के बीज,
हर नीति में उन्होंने डाली आँकड़ों की सही तमीज।
यथार्थ जहाँ छुपा रहे, वहाँ सांख्यिकी खोजें।
शब्दों से जो न कह सकें, वो अंक करें उद्घाटन,
सच को नापा, तौला जिसने, वो है आँकड़ों का वितान।
सच्चाई के सूक्ष्म रेख, जो देखे अदृश्य सृष्टियों में,
नीतियों की नींव बने जो, हर विकास की दृष्टियों में।
किसने कितनी पीड़ा झेली, किसने पाया सम्मान,
कहते नहीं ये केवल भाव, कहे आँकड़ों का विज्ञान।
महान थे प्रोफेसर महालनोबिस, जिनकी अमूल्य देन रही
सांख्यिकी के क्षेत्र में भारत को मिली दिशा उनसे सही
उनकी सोच, उनकी दृष्टि ने देश को एक राह दिखाई,
नियोजन, आँकड़े और विश्लेषण की गहरी परतें सिखलाईं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस, एक श्रद्धांजलि का दिवस
जब हम सब निहारते आँकड़ों के युगपुरुष का यश
उनका योगदान निहित है हर नीति में, हर नियोजन में,
हर निर्णय की जड़ में बैठी, हर गणना के प्रयोजन में।
कृषि से उद्योगों तक, शिक्षा से स्वास्थ्य तक,
हर क्षेत्र की गहराइयों में, आँकड़ों की है दस्तक।
बिना आंकड़ों के निर्णय क्या? बस अनुमान की नाव,
जो डूब सके हर तूफान में, हो जाए दिशाहीन प्रभाव।
तो गाते चलो यह गान, आँकड़ों के मान में,
हर क्षेत्र की रचना हो आधारभूत ज्ञान में।
आगे बढ़ेगा भारत जब हर निर्णय होगा स्पष्ट,
तथ्य की आँखों से देखकर मिटेगा भ्रम का कष्ट।
जहाँ गिनती से बनते सपने, और आँकड़े कहते हाल,
वहीं जन्म लेती है वह विद्या, जो करती यथार्थ का भाल।
नभ में उड़ती योजनाएँ, जब धरती पर उतरेंगी,
तो सांख्यिकी की सीढ़ियाँ ही, उनके पंख संवरेंगी।
अर्थव्यवस्था का रूप दिखेगा, जब आँकड़े होंगे पास,
वरना कल्पना की दुनिया में, खो जाएगा विकास।
राशन कार्ड से लेकर वोटों तक, शिक्षा से उत्पादन,
हर क्षेत्र में बहती आँकड़ों की अदृश्य धाराएं अनन्य।
प्रोफेसर महालनोबिस की दृष्टि में था वो तेज,
जिसने आंकड़ों के महत्व को दी एक नई सेज
सैम्पल सर्वे का आधार रचा, जो बना नीति का मूल,
हर योजना की रीढ़ बनी, आँकड़ों की वह धूल।
उन्होंने ही रचा वह स्वप्न, ‘प्लानिंग कमीशन’ का नाम,
जहाँ विचार नहीं, प्रमाण हो, हो डेटा का ही काम।
पंचवर्षीय योजना में झलके उनके चिंतन के बीज,
हर नीति में उन्होंने डाली आँकड़ों की सही तमीज।
लेखक, पत्रकार, साहित्यकार एवं वैश्विक समूह संपादक, सृजन संसार अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समूह
आशियाना (लखनऊ) उत्तर प्रदेश