श्रीराम काॅलेज के ललित कला विभाग में आयोजित 3 दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। श्रीराम कॉलेज के ललित कला विभाग में ‘‘परिधान मशीनरी और परिधान उद्योग में कैरियर के अवसर’’ शीर्षक पर तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन किया गया। जिसमें छात्रों ने बढ-़ चढ़कर प्रतिभाग लिया। इस कार्यशाला का उद्देश्य आधुनिक परिधान मशीनरी के बारे में व्यावहारिक जानकारी प्रदान करना और प्रतिभागियों को तेजी से बढ़ते परिधान क्षेत्र में कैरियर की संभावनाओं के बारे में मार्गदर्शन देना रहा।

इस अवसर पर देश की प्रतिष्ठित उषा कम्पनी से आये एक्सपर्ट वंश और सूर्यकांत ने 3 दिवसीय कार्यशाला में स्टूडेंट्स को लगभग 300 स्टीचिंग्स और एम्ब्रॉयडरी के बारें में विस्तार से बताया, कार्यशाला में औद्योगिक सिलाई मशीन, ओवरलॉक मशीन, फ्लैटलॉक मशीन और स्वचालित कटिंग उपकरण जैसी प्रमुख परिधान मशीनों का व्यावहारिक प्रदर्शन शामिल था। उद्योग विशेषज्ञों और प्रशिक्षकों ने परिचालन तकनीकों, रखरखाव प्रक्रियाओं और तकनीकी प्रगति के बारे में बताया जो आज परिधान निर्माण प्रक्रिया को आकार दे रही हैं उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि वे परिधान उद्योग में एक सफल कैरियर कैसे बना सकते हैं।
इस अवसर पर ललित कला विभाग के निदेशक डॉ. मनोज धीमान ने बताया कि सिलाई मशीन एक ऐसा यांत्रिक उपकरण है जो किसी वस्त्र या अन्य चीज को परस्पर एक धागे या तार से सिलने के काम आती है। इनका आविष्कार प्रथम औद्योगिक क्रांति के समय में हुआ था। सिलाई मशीनों से पहनने के सुंदर कपड़े छोटे-बड़े बैग, चादरें, पतली या मोटी रजाइयां सिली जाती हैं। सुंदर से सुंदर कढ़ाई की जाती है और इसी तरह बहुत कुछ किया जा सकता है। दो हजार से अधिक प्रकार की मशीनें भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए प्रयुक्त होती हैं जैसे कपड़ा, चमड़ा, इत्यादि सीने की। अब तो बटन टाँकने, काज बनाने, कसीदा का सब प्रकार की मशीनें अलग-अलग बनने लगी हैं। अब मशीन बिजली द्वारा भी चलाई जाती है।
इस अवसर पर ललित कला की विभागाध्यक्ष मीनाक्षी काकरान ने बताया की तकनीकी सत्रों के अलावा, इस कार्यक्रम में एक आकर्षक कैरियर परामर्श खंड भी शामिल था, जहाँ अग्रणी परिधान कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों के पेशेवरों ने कौशल विकास, शिक्षा मार्गों और डिजाइन, उत्पादन, गुणवत्ता नियंत्रण और आपूर्ति श्रृंखला भूमिकाओं में उपलब्ध नौकरी के अवसरों पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि साझा की। इस कार्यशाला को सैद्धांतिक ज्ञान और औद्योगिक अभ्यास के बीच की खाई को बाटने के लिए डिज़ाइन किया गया था। प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किये गये।
इस कार्यशाल को सफल बनने में विभाग की विभागाध्यक्षा मीनाक्षी काकरान, प्रवक्ताओं में रजनीकांत, डॉ अनु, बिन्नू पुंडीर, रीना त्यागी, मयंक सैनी, अजित मन्ना, सोनी श्रीवास्तव, सिद्धार्थ, शहज़ादी और करुणाकर शर्मा रहे।

Post a Comment

Previous Post Next Post