मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। जिले के 107 प्रतिष्ठित वकीलों द्वारा हस्ताक्षरित एक ज्ञापन जिला प्रशासन के माध्यम से नॉर्वे की नोबेल शांति समिति को भेजा गया। ज्ञापन में जिले के वकीलों की ओर से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हो रहे उत्पीड़न और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस की भूमिका और चुप्पी पर गहरी चिंता जताते हुए नोबेल समिति से अपील की है कि उन्होंने डॉ. यूनुस के कार्यों और उनकी चुप्पी के कारण बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हुई हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन का पुनर्मूल्यांकन किया है।
ज्ञापन में वकीलों ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न जारी है और 200 से अधिक मंदिर नष्ट कर दिये गये हैं, 1000 से अधिक घरों को लूटकर नष्ट कर दिया गया है। अब तक अल्पसंख्यक समुदाय के 500 से अधिक लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई है, धार्मिक त्योहारों पर हमले, जबरन वसूली और प्रतिबंध लगाए गए हैं। इतना ही नहीं वकील रेजन आचार्य और रामेन रॉय जैसे पेशेवरों पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया है।
ज्ञापन में वकीलों ने कहा है कि हमारे अनुसार ये घटनाएँ न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, न्याय और बांग्लादेश के संविधान का सीधा उल्लंघन हैं। उन्होंने ज्ञापन में कहा है कि डॉ. मुहम्मद यूनुस जैसी शख्सियतों की चुप्पी उनकी नैतिक जिम्मेदारी पर सवाल उठाती है और ये नोबेल शांति पुरस्कार के आदर्शों के साथ असंगत है। उन्होंने कहा है कि हमें लगता है कि नोबेल समिति की इस चुप्पी से उनके नैतिक अधिकार पर असर पड़ सकता है।
ज्ञापन में वकीलों ने मांग की है कि नोबेल समिति को इस संबंध में प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए और नोबेल समिति को अल्पसंख्यकों की रक्षा और मानवाधिकार का आदर्श स्थापित करने की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। इसके साथ ही नोबेल शांति पुरस्कार को भविष्य में शांति, समानता और मानवाधिकारों के सच्चे प्रतीक के रूप में बरकरार रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। ज्ञापन प्रस्तुति के समय वकील शांतनु नाइक, रत्नंकुर भट्टाचार्य, सौमेन भट्टाचार्य धर्मानंद देव और वैशाली भवेल आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।