प्रीति शर्मा "असीम", शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जिंदगी जीने की,
जितनी जद्दोंजहद करती है |
मौत उतनी ही,
बेरहमी से जिंदगी को ,
अपनी चोंच में धरती है |
जिंदगी जीने की,
जितनी..............?
हम सोचते है....!
जिंदगी में,
हर तरफ से,
बटोरते चले जाते है |
हम सोचते हैं......!
बस जिंदगी की,
और मौत भूल जाते है |
यह करना है....?
वो करना है.....?
यह बनना है.....!
वो बनाना है.....!
जिंदगी ,एक चक्की -की
तरह निरन्तर चलती है |
हम पिसते है,
टूटते है |
बिखरते है,
जुड़ते है |
हर स्थिति में,
हर परिस्थिति में ,
जीवन को ठेलते है |
पर कभी भी मौत की ,
नही सोचते हैं....... ?
लेकिन मौत. ......!
दबे पाँव जिंदगी से,
कहीं ज्यादा ,
तेज चलती है |
हम अपलक देखते रह जाते है |
मौत हमें चुग कर चली जाती है |
नालागढ़, हिमाचल प्रदेश
जितनी जद्दोंजहद करती है |
मौत उतनी ही,
बेरहमी से जिंदगी को ,
अपनी चोंच में धरती है |
जिंदगी जीने की,
जितनी..............?
हम सोचते है....!
जिंदगी में,
हर तरफ से,
बटोरते चले जाते है |
हम सोचते हैं......!
बस जिंदगी की,
और मौत भूल जाते है |
यह करना है....?
वो करना है.....?
यह बनना है.....!
वो बनाना है.....!
जिंदगी ,एक चक्की -की
तरह निरन्तर चलती है |
हम पिसते है,
टूटते है |
बिखरते है,
जुड़ते है |
हर स्थिति में,
हर परिस्थिति में ,
जीवन को ठेलते है |
पर कभी भी मौत की ,
नही सोचते हैं....... ?
लेकिन मौत. ......!
दबे पाँव जिंदगी से,
कहीं ज्यादा ,
तेज चलती है |
हम अपलक देखते रह जाते है |
मौत हमें चुग कर चली जाती है |
नालागढ़, हिमाचल प्रदेश