मोक्षायतन अंतर्राष्ट्रीय योग संस्थान में गीता जयंती समारोह आयोजित

शि.वा.ब्यूरो, सहारनपुर। मोक्षायतन अंतर्राष्ट्रीय योग संस्थान में हर्षोल्लास के साथ गीता जयंती समारोह मनाया गया। सभी साधकों द्वारा योगेश्वर कृष्ण अर्चन और श्रीमद् भगवत गीता पाठ के बाद गीता ज्ञान संवाद में वरिष्ठ साधकों डा अशोक गुप्ता, नंद किशोर शर्मा, आचार्या अनीता शर्मा, ललित वर्मा, उमेश खन्ना, शिवम और ध्यान प्रमुख विजय सुखीजा व मंजू गुप्ता के साथ ही नवोदित साधकों केशव वर्मा, दीपक मौर्य, सोनाक्षी वर्मा, अमित कपिल, नारायण वर्मा आदि ने गीता श्लोकों की मनोहारी प्रस्तुतियों में श्रीमद् भगवत गीता में वर्णित कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग एवं सांख्य योग पर पर प्रकाश डाला। 

आचार्य अनीता शर्मा ने कहा कि श्री कृष्ण ने योगी को तपस्वी, ज्ञानी और मेहनतकश लोगों से भी ऊंचा मानते हुए योगी होने का ही आवाहन किया है, इसलिए हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें गुरुदेव स्वामी भारत भूषण जी के संरक्षण में योगमार्ग मिल गया है, जबकि ललित वर्मा ने सर्वधर्मान परित्यज्य मामेकम शरण व्रज का विवेचन किया और अशोक गुप्ता ने ध्यायतो विषयानपुंस: से प्रणश्यति के आधार पर काम पिपासा से प्राण हानि के स्वरूप को समझाया। योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण ने गीता को सारे उपनिषदों का सार बताते हुए कहा कि बिखराव हमें कहीं का नहीं छोड़ता इसलिए एकै साधे सब साधे सब जाय कहते हुए गीता को मजबूती से आचरण पर बल दिया और साधकों से आवाहन किया कि गीतामृतपान से स्वयं को समस्त भवरोगों से सुरक्षित करें, जो विभिन्न रूपों में हमें घेरते चले आ रहे हैं। 

उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को ऐसी टॉर्च बताया जो हर किसी के जीवन से अंधियार छांटने में सक्षम है। उन्होंने गीता की रोशनी में ठोकरें खाने से बचे रहने का सुझाव देते हुए कहा कि टॉर्च का प्रयोग करने के लिए जागृत होना पहली शर्त है। योगगुरु ने कहा कि सोए रह जाने वाले अभागे हैं किंतु जग कर फिर से सो जाने वाले तो और भी अधिक अभागे हैं, हम साधकों को अभागा नहीं बनना और गीता जयंती से प्रतिदिन गीता स्वाध्याय करने का व्रत लेना है। गीता ज्ञान संवाद में भाग लेने वाले साधकों ने योग गुरु के हाथों से श्रीमद्भगवद्गीता की प्रतियां पुरुस्कार रूप में प्राप्त की।

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