राजभाषा हिंदी संयुक्त सुरक्षा समिति असम का गठन किया

मदन सिंघल, सिलचर। वरिष्ठ समाजसेवी और भाजपा नेता अवधेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हिंदीभाषी एवं चाय जनगोष्ठी संगठनों की एक सभा में 21 संगठनों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में राजभाषा हिंदी संयुक्त सुरक्षा समिति असम का गठन किया गया। समिति का मुख्य संयोजक सर्वसम्मति से  पंडित आनंद शास्त्री  को चुना गया। सभी संगठनों के अध्यक्ष और सचिव को सह संयोजक नियुक्त किया गया। 

सभा में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में असम सरकार के कैबिनेट मंत्री पियूष हजारिका द्वारा पिछले 13 अक्टूबर को सर्किट हाउस में मिलने गए प्रतिनिधि मंडल के सदस्य पत्रकार व समाजसेवी दिलीप कुमार को हिंदी दैनिक प्रेरणा भारती का विज्ञापन बंद करने की धमकी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। दूसरे प्रस्ताव में असम सरकार द्वारा उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी विषय की पढ़ाई बंद करने और हिंदी शिक्षक पद विलुप्त करने के निर्णय के विरुद्ध असम के मुख्यमंत्री, भारत के प्रधानमंत्री और राजभाषा हिंदी से जुड़े सभी संगठनों को ज्ञापन भेजने का निर्णय लिया गया। 

सभा को संबोधित करते हुए पंडित आनंद शास्त्री ने कहा कि हिंदी की मांग हिंदुस्तान में नहीं करेंगे तो कहां करेंगे? उन्होंने कहा कि हमें किसी भाषा से आपत्ति नहीं है किंतु हिंदी को विकलांग करने की शर्त पर हम समर्थन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि शिलचर में बांग्ला भाषा के लिए कई लोग शहीद हो गए, यदि जरूरत पड़ी तो हिंदी के लिए हम भी शहीद होने के लिए तैयार है। अवधेश कुमार सिंह ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि हिंदी दैनिक प्रेरणा भारती एक व्यक्ति का नहीं, एक बड़े समाज का प्रतिनिधित्व करता है, गणतंत्र का चौथा स्तंभ है। हमारी ही सरकार के मंत्री द्वारा इस प्रकार धमकी दिया जाना चिंता की बात है। उन्होंने पियूष हजारिका की निंदा करते हुए कहा कि निंदा प्रस्ताव प्रधानमंत्री तक जाना चाहिए। उन्होंने कहा की राजभाषा के लिए होने वाली हर लड़ाई में मेरा सहयोग रहेगा।समाजसेवी महावीर जैन ने कहा कि सरकार को राजभाषा की शिक्षा बंद नहीं करनी चाहिए, बराक घाटी में जैसे चल रहा है वैसे चलने देना चाहिए। इसी में असम की भलाई है। उन्होंने इस बारे में कैबिनेट मंत्री परिमल शुक्लवैद के पास जाने का सुझाव दिया। 

दुर्लभछोड़ा के युवा समाजसेवी तथा साउथ असम टी यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष राजदीप राय ने कहां किया हमारे अस्तित्व का सवाल है, अभी नहीं तो कभी नहीं। हम हर स्तर पर संघर्ष के लिए तैयार है, दिसपुर से दिल्ली तक हिंदी की सम्मान रक्षा के लिए दबाव बनाएंगे। बराक चाय जन जागृति मंच लखीपुर के सुनील कुमार सिंह ने कहा कि सभी दल के जनप्रतिनिधियों के पास जाएंगे और जो हमारा समर्थन करेगा, हम उसका समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि जिसके हाथ में पत्थर नहीं उसके प्रश्न का उत्तर नहीं। राजकुमारी मिश्रा ने बंद हो रही हिंदी पाठशाला के बारे में अपनी व्यथा प्रकट की। उधारबंद के सामाजिक कार्यकर्ता गोलक ग्वाला ने कहा कि निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर हमें आर पार की लड़ाई लड़नी है, हमारे साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। हिंदीभाषी युवा मंच के अध्यक्ष राजन कुंवर ने कहा कि हिंदी केवल हिंदीभाषियों की भाषा नहीं है, हिंदी की आवाज सभी भाषाभाषी को मिलकर उठाना चाहिए। हिंदी के रिक्त पदों पर नियुक्तियां नहीं हो रही है, इसके ऊपर विचार करना चाहिए। तरुण समाज सेविका शचि कुमारी ने कहा कि हम लोग कायर नहीं है, जंग के लिए तैयार है। नारी शक्ति आगे बढ़कर सरकार की इस विभेदकारी नीति के विरुद्ध आवाज उठाएगी। बराक चाय श्रमिक यूनियन के सचिव समाजसेवी बाबुल नारायण कानू ने कहां की सरकार जनता के लिए होती है और सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री का दिलीप कुमार के साथ दुर्व्यवहार बहुत गलत बात है। हिंदी की लड़ाई हम सभी मिलकर लड़ेंगे। 

बारात हिंदी साहित्य समिति के महासचिव दुर्गेश कुर्मी ने बताया कि हिंदी साहित्य समिति ने सरकार के द्वारा लिए गए इस निर्णय के विरुद्ध में ज्ञापन भेजा है। हिंदी के बारे में हिंदी साहित्य समिति के कार्यों का उन्होंने ब्यौरा दिया। हिंदी साहित्य समिति के पूर्व अध्यक्ष अमरनाथ खंडेलवाल द्वारा प्रेषित सुझावों की जानकारी दुर्गेश कर्मी ने प्रदान की। चाय युवा कल्याण समिति के वरिष्ठ संगठन मंत्री तथा हैलाकंदी के समाजसेवी चौधरी चरण गोड़ ने अपने समाज की कमियों की तरह इशारा करते हुए कहा कि सरकार से बात करने के लिए हमें एकजुट होना पड़ेगा। पाथरकांदी के गौतम कोईरी ने असम सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार चल रहा है सरकार आंख बंद किए हुए हैं, हम लोग सरकार की आंख खोलने के लिए जो करना पड़ेगा उसके लिए तैयार है। राष्ट्रीय कवयित्री सुषमा पारेख ने हिंदी के ऊपर अपनी कविता सुनकर सभी को प्रभावित किया।

सभा का शुभारंभ बराक हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष परमेश्वर लाल काबरा के वक्तव्य से हुआ। पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप कुमार ने प्रस्ताविक वक्तव्य दिया तथा सभा का संचालन किया। मंचासीन अतिथियों में हिंदीभाषी समन्वय मंच के अध्यक्ष डाक्टर बैकुंठ ग्वाला, वरिष्ठ समाजसेविका फूलमति कलवार, कछार ईट भट्ठा एसोसिएशन के वरिष्ठ कार्यकर्ता रामस्वार्थ सिंह, भोजपुरी परिषद के अध्यक्ष युगल किशोर त्रिपाठी आदि शामिल थे। अन्य उपस्थित कार्यकर्ताओं में हिंदीभाषी एवं चाय जनसमुदाय मंच के महासचिव कंचन सिंह, राजीव कुमार राय, नुनिया समाज के सुभाष चौहान, भारतीय चाय मजदूर संघ के हरि नारायण वर्मा, चाय युवा कल्याण समिति के अध्यक्ष लालन प्रसाद ग्वाला, मारवाड़ी समाज की ओर से बंशीलाल भाटी, सांवरमल काबरा, हरीश काबरा, कुर्मी महासभा की ओर से अनंत लाल कुर्मी, नेपाली समाज की ओर से गणेश लाल छत्री, हिंदीभाषी महिला मंच की ओर से डॉ रीता सिंह, श्रीमती सीमा कुमार, बराक घाटी तेली साहू समाज की ओर से मनोज कुमार शाह, कलवार समाज की ओर से जयप्रकाश गुप्ता, ग्वाला समाज की ओर से वरिष्ठ समाजसेवी विक्रम ग्वाला, विश्वजीत यादव, सृजन संघ की ओर से बाबुल कुमार, परीक्षित साहू, रविदास उन्नयन संस्था की ओर से हैलाकंदी के शिवनारायण रविदास, मधेशिया वैश्य समाज की ओर से दुर्गा प्रसाद कानू, राहुल कानू, उधारबंद से डॉ दिलीप कुमार ठाकुर, देवाशीष लोहार, युवा छात्र नेता नीतीश तिवारी, हिंदीभाषी युवा मंच के महासचिव सत्राजित प्रजापति, कोइरी समाज की ओर से रिटायर्ड शिक्षक मदन मोहन कोईरी, वरिष्ठ पत्रकार योगेश दुबे, दिलीप सिंह, शिव कुमार, रितेश नुनिया, ब्राह्मण समाज के आनंद प्रसाद द्विवेदी, अग्रहरि समाज के रत्नेश कुमार अग्रहरि, राजेन लाला, मेघनाथ रविदास, भोजपुरी पत्रकार दया सागर, रोहन कर्मकार आदि शामिल थे।

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