मुझे गर्व है मैं शिक्षक हूं

डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मुझे गर्व है कि मैं एक शिक्षक हूँ।
देश धरम और कर्म का रक्षक हूँ।
बच्चों को नित नवाचार बताता हूँ।
खेलखेल में अपना पाठ पढाता हूँ।
बात बात में जीवन कौशल सिखलाता हूँ।
जाति और धर्म के भेदभाव भुलाता हूं।
ऊंच नीच का भेद मिटाकर सबका मेल कराता हूं।
कुरीतियों को दूर हटाकर आधुनिकता सिखाता हूं।
सरस्वती के इस मंदिर में अपना शीश झुकाता हूँ।
कक्षाओं में जाकर के मैं समूह पाठ पढाता हूँ। 
दोहा कवित्त और सवैया गाकर मै बतलाता हूँ।
जीव भौतिक और गणित के चित्र रोज बनवाता हूं।
नाटक,कहानी भेटवार्ता अभिनय कर बतलाता हूँ।
होम वर्क व क्लास वर्क को कापी में लिखवाता हूँ। 
सदा प्यार से नाम लेकर बच्चों को बुलाता हूँ। 
पुस्तक,सायकल और वजीफा उनको भी बंटवाता हूँ। 
घंटी के बजते ही हम सब शारद वंदन करते हैं। 
जो भी अतिथि आते है हम प्रेम से बाहें भरते हैं।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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