सद्गुरु संत कबीर हैं

डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जेठ मास की पूर्णिमा, चंदा करे प्रकाश।
जग अंधियारा मिट गया, सूरज उगा अकाश।।1
तेरह सौ अंठाणवे,प्रगटे संत कबीर।
राम नाम उच्चारते, लहर ताल के तीर।।2 
नीरू नीमा पालते, करत जुलाही काम। 
कथनी करनी एक सी, जीवन पायो राम।।3
रामानंद से गुरु ने ,लीना गोद उठाय।
राम नाम का मंत्र दे, दीना ज्ञान बताय।।4 
कबीर गुरु के भक्त बहु, सेठ धरम से दास।
सद्गुरु से सब अरज करें, पूरी कीजे आस।।5
कबीर तेरी झोपड़ी, हिंदी का है धाम।
प्रेम कर्म तप साधके, निर्गुण पायो राम।।6
कबीर भक्ति मूल है, निर्गुण मारग पंथ।
ज्ञान ध्यान के कारणे, तुमको भजते संत।।7
चार वर्ण सम देखते, तुमसा दिखा न संत।
हिंदू मुस्लिम एकता, सत्य मार्ग के पंथ।।8 
सीधा सा जीवन जिये, जाने सबकी पीर। 
सांचे मारग पर चले, बाको नाम कबीर।। 9
अटपट वाणी समझ के, झटपट हो हुशियार।
कबीर वाणी में लिखो, साहब का दरबार।।10
बीजक ज्ञान भंडार है, पढ़िये ध्यान लगाय।
आतम परमातम मिले, संशय सब मिट जाय।।11
गीता बीजक वेद बिनु, रामायण बिनु माहि।
तुलसी सूर कबीर बिनु, भारत भारत नाहि।।12
सद्गुरु संत कबीर हैं,काटे जग की पीर।
लोहा को कंचन करें, पारस पावन नीर।।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

Post a Comment

Previous Post Next Post