एसडी काॅलेज ऑफ मैेनेजमेन्ट स्ट्डीज में एसडी डिग्री काॅलेज के बीच डव्न् साइन, स्टूडेंट डव्लपमेंट प्रोग्राम आयोजित

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। एसडी काॅलेज एसडी काॅलेज फ मैेनेजमेन्ट स्ट्डीज में एसडी डिग्री काॅलेज के बीच डव्न् साइन, स्टूडेंट डव्लपमेंट प्रोग्राम आयोजितफ मैेनेजमेन्ट स्ट्डीज में एसडी डिग्री काॅलेज के साथ हुए एमओयू के तहत बीबीए विभाग द्वारा ”इम्पेक्ट एसडी काॅलेज फ मैेनेजमेन्ट स्ट्डीज में एसडी डिग्री काॅलेज के बीच डव्न् साइन, स्टूडेंट डव्लपमेंट प्रोग्राम आयोजितफ ग्लोबल चैंजिज् न नेशनल बिजनेस एवं एन वरव्यू न फाइनेंशियल स्टेटमेंट एनालिसिस“ विषय पर स्टूडेंट डव्लपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया, जिसमें एसडी डिग्री काॅलेज के छात्र-छात्राओं ने दो दिवसीय स्टूडेंट डव्लपमेंट प्रोग्राम में उत्सुकतापूर्वक बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

इस अवसर पर प्राचार्य डा0 संदीप मित्तल ने बताया कि वैश्वीकरण का ताप्तर्य विश्व की अर्थव्यवस्था में एकीकरण की प्रक्रिया से है। उन्होंने कहा कि जब विभिन्न देशों के बीच व्यापारिक प्रतिबंध कम या समाप्त होने लगते है तथा सभी देश एक दूसरे की प्रौद्योगिकी और अनुभवों का लाभ उठाकर अपना आर्थिक विकास करने लगते हैं तो इस दशा को वैश्वीकरण कहते है। उन्होंने कहा कि दीर्घावधिक निवेशको को भविष्य की अपनी आबंटन रणनीतियों में अधिक परिष्कृत भू-रानीतिक एवं पर्यावरणीय विश्लेषणों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होने फाइनेंशियल स्टेटमेंट एनालिसिस के वाद प्रस्तुत करते हुये कहा कि यह किसी विशेष अवधि के लिए कंपनी की वित्तीय जानकारी के व्यवस्थित विश्लेषण की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि वित्तीय विवरण का विश्लेषण संबंधित पक्षों को आर्थिक निर्णय लेने के लिए कंपनी की वास्तविक वित्तीय स्थिति को समझने में मदद करेंगा। 

बीबीए विभागाध्यक्ष राजीव पाल सिंह ने बताया वैश्वीकरण राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक जीवन के विश्व व्यापी समायोजन की एक प्रक्रिया है, जो विश्व के विभिन्न भागों के लोगो को भौतिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का सफल प्रयास करती है। उन्होंने कहा कि व्यापार संगठन सहमतियों के लिए प्रतिभागियों के पालन को लागू करने और व्यापार से सम्बन्धित विवादों को हल करने के लिए स्वतंत्र विवाद समाधान का प्रबंधन करना, संगठन व्यापारियों भागिदारों के बीच भेदभाव को प्रतिबन्धित करता है। उन्होंने कहा कि मानवीकृत साधनों और तकनीकों की मदद से, विश्लेषण की प्रक्रिया बहुत आसान हो जाती है, व्यवसाय के वित्तीय विवरण में दिए गए जटिल डेटा का सरल और मूल्यवान तत्वों में परिवर्तित किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रारूप संबंधित मूल्य और आंकडो के बीच अन्योन्याश्रित संबंध स्थापित करने में मदद करते है। व्यापार बाधाओ को कम करने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधो में भेदभावपूर्ण व्यवहार समाप्त करने के विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य को पूरा होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के उद्देश्य से व्यापार से संबंधित उपायों को अपना सकते है। 

वर्कशाप के कोर्डिनेटर प्रवक्ता मौ0 अन्जर ने इम्पेक्ट फ ग्लोबल चैंजिज् न नेशनल बिजनेस विषय को स्पष्ट करते हुये कहा कि वैश्वीकरण का प्रमुख उद्देश्य देश मे फैली आर्थिक असमानताओं को दूर करना होता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक असमानताओं को दूर करने से विकासशीन देशों एवं अल्प विकसित देशों को विकसित देशों की श्रेणी में लाने में आसानी होती है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण मुख्य रूप से आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक तीनो रूपो मे हो सकता है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण का प्रभाव युवाओं मे तीव्र परिवर्तन एवं अनिश्चितता लाने हेतु उत्तरदायी है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण न केवल युवाओं के बीच आर्थिक अवसर प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक परिवर्तनों हेतु भी उत्तरदायी है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के कारण युवाओं को पूरे विश्व में सर्वोत्तम सामग्री और उत्पाद का चयन करने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं के एक दूसरे देश में आने और जाने की अवरोधों को समाप्त कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों के बीच उत्पादों और सेवाओं के प्रवाह को धीमा करने के लिए कुछ बाधाओं के साथ बाजारों, व्यापार और निवेश का एकीकरण मे निवेश, आर्थिक प्रवृत्तियों और नये उत्पादों के विभिन्न अवसरों के बारे में वैश्विक उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि यह मूल्यों और विचारों के आदान प्रदान में वृद्धि को बढ़ावा देता है। जिसके कारण विदेशी कंपनियों ने भारत मे निवेश किया। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के कारण विशेष रूप से फार्मास्युटिकल, सूचना प्रौद्योगिकी, रसायन, परिधान, चमड़ा, कृषि, विनिर्माण आदि जैसे क्षेत्रों को लाभ मिलता है।

कोर्डिनेटर प्रवक्ता डा0 अक्षय जैन ने ”एन वरव्यू न फाइनेंशियल स्टेटमेंट एनालिसिस“ विषय को स्पष्ट करते हुये कहा कि वित्तीय विवरण विश्लेषण एक व्यापार में विभिन्न वित्तीय कारकों के बीच संबंधो का अध्ययन है। उन्होंने कहा कि विश्लेषण की तकनीकों की आवश्यकता है क्योंकि वित्तीय वक्तव्यों में डेटा बहुत जटिल और समझने मे मुश्किल है, क्योंकि अधिकांश तारीखो को सभी बयानों में दोहराया जाता है। उन्होंने कहा कि वित्तीय विवरण में संपत्ति, देनदारियों, पूंजी, राजस्व, व्यय, अर्जित किये गये लाभ या हानि के बारे मे जानकारी शामिल है, लेकिन डेटा तुलनीय प्रारूप में नहीं है। 

वर्कशाप मे दीपक गर्ग, डा0 संगीता गुप्ता, पूर्वी संगल, डा0 अनन्त गर्ग, सोनिका, विनिता चैधरी, सतीश, अमित एवं उमेश मलिक आदि शिक्षक मुख्य रूप से मौजूद रहे।


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