चालीसाओं में धर्म और विज्ञान का अद्भुत समन्वय

शकुन्तला भिलाला, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

हिन्दी साहित्य में पद्य काव्य विधा में मात्रिक छंद में दोहा तथा चौपाई का विशेष महत्व है। भक्तिकाल के प्रेम मार्गीय सूफी कवियों ने भी अवधि लोकभाषा में अपने ग्रंथों में मुख्य रूप से दोहा चौपाई छंदों का ही  प्रयोग किया हैं। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा ने तो इन गायन छंदों से सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्धी पाई है। जिसे हर कंठ से सस्वर सुना जा सकता है। इसके बाद कई देवी देवताओं की स्तुति में भी चालीसा लिखे जाने लगे। फिर आधुनिक काल में भी चालिसाओं का अपना विशेष स्थान रहा है।

 वर्तमान में आगर मालवा के नवोदित साहित्यकार डॉ दशरथ मसानिया ने 2010 में बैजनाथ चालीसा लिखकर तथ्यात्मक जानकारी दी है।
 जो धर्म जगत में बहुत ही लोकप्रिय हुआ। इसके बाद अन्य विषयों पर भी समय समय पर लिखते रहे। इन चालिसाओं को मंचों तथा पत्र पत्रिकाओं में भी उचित स्थान मिला। कक्षा 12 वी में भी मात्रिक छंदों में दोहा,चौपाई और चालीसा पाठ्यक्रम में समाहित है। छात्रों को किसी एक पाठ या पाठ्यांश को सिखाने में भी चालिसाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कोरोना काल में 100 से अधिक चालीसा प्रकाशित हुये। इस उपलब्धि को महाराष्ट्र बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया।
शैक्षणिक दृष्टि से डॉ मसानिया के इन चालिसाओं को हम छः भागों में बांट सकते है। शैक्षणिक विषयों पर आधारित 45 धार्मिक 42 महिला सशक्तिकरण पर 8 महापुरुषों पर 10 साहित्यकारों पर 13 लोक देवताओं पर 6 चालीसा प्रकाशित हो चुके हैं। धार्मिक चालिसाओं को भी हम शैव,राम, कृष्ण तथा अन्य चार भागों में बांट सकते हैं - धार्मिक चालीसा के अंतर्गत (अ) कृष्ण भक्ति शाखा में 1.श्री कृष्ण, 2.श्री गोवर्धन, 3.महाप्रभु वल्लभाचार्य,4.होली, 5.श्रीनाथ जी, 6.श्रीमद् भागवत, 7.भक्त सुदामा,8.श्रीराधामहारानी,9.ब्रज चौरासी, 10 महाभारत,
 (ब).राम भक्ति शाखा के अंतर्गत,1.श्रीराम,2.मां जानकी, 3.पवनपुत्र हनुमान ,4.मां शबरी ,5 रामायण,
 (स). शिव भक्ति शाखा के अंतर्गत 1.भोलेनाथ, 2.बाबा बैजनाथ,3.श्री गंगा ,4. श्री नर्मदा, 5.महांलेश्वर चालीसा 
(द).विविध धार्मिक 1. गौ माता ,2 वट सावित्री,
3.सत्यनारायण कथा 4 .राजा नल दमयंती, 5.शनिदेव, 6. गुरु नानकदेव, 7. मां बगलामुखी, 8. गुरुदेव, 9.प्रजापति दक्ष, 10.भगवान बुद्ध ,11.भगवान परशुराम
(ई) लोक देवताओं पर आधारित चालीसा में 1 रुणिचा रामदेव, 2 संत सिंगाजी, 3 श्री देवनारायण, 4 वीर तेजाजी, 5 हरदौल लला ,6. राजा भरथरी
इन चालीसाओं में छंद, शिल्प,मात्रा तथा व्याकरण संबंधी त्रुटिओं का विशेष ध्यान रखा गया है। निःसंदेह रूप से कहा जा सकता है कि डॉ मसानिया चालीसा सम्राट है। इतना ही नहीं ये चालीसा हिन्दी साहित्य में शोधकर्ताओं के लिए नित नई राह दिखायेंगे। 
हिन्दी प्रेमियों को एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों को इन पर शोध कार्य करवाया जाना चाहिए।
उच्च माध्यमिक शिक्षक, आगर (मालवा) मध्यप्रदेश
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