टीबी रोग के उन्मूलन में स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ डाक विभाग भी निभा रहा अहम भूमिका
शि.वा.ब्यूरो, वाराणसी। विश्व क्षय रोग दिवस पर पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि भारतीय डाक विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने की दिशा में संयुक्त पहल के तहत टीबी रोगियों के स्पुटम एवं अन्य सैम्पुल को डिजिगनेटेड माइक्रोस्कोपी सेंटर (डीएमसी) से पैकिंग कर डाक विभाग के माध्यम से जनपद के संबंधित सीबीनाट (कार्टेज बेस्ड न्यूक्लिकएसिड एम्प्लिफिकेशन टेस्ट) लैब व कल्चर एण्ड डीएसटी (ड्रग सेंसिटिविटी टेस्टिंग) लैब तक पहुँचाया जाता है। उन्होंने बताया कि दूरदराज के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से नमूनों को प्रयोगशाला तक 24 से 48 घंटे के भीतर डाकिये पहुँचाते हैं, ताकि इनकी शुद्धता बनी रहे। 
पोस्टमास्टर जनरल ने बताया कि वाराणसी परिक्षेत्र में अब तक 13,390 नमूनों को एकत्र कर डाकिया टेस्टिंग लैब तक पहुँचा चुके हैं। परिक्षेत्र के अन्तर्गत वाराणसी जनपद में 21, भदोही में 2, चंदौली में 8, जौनपुर में 25, गाजीपुर में 24 और बलिया जनपद में 24 डाकघरों को बुकिंग के लिए अधिकृत किया गया है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखनऊ, चंदौली, आगरा व बदायूं आदि 4 जनपदों में ये पायलट प्रोजेक्ट 15 जुलाई 2019 से आरम्भ हुआ था, जो बाद में सभी जनपदों में 1 मई 2020 से विस्तारित कर दिया गया। प्रदेश की राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में लखनऊ परिक्षेत्र के तत्कालीन निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ. संतोष गुप्ता के साथ इस साझा पहल का शुभारम्भ किया था।
बता दें कि टीबी रोग के उन्मूलन में स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ डाक विभाग भी अहम भूमिका निभा रहा है। डाकिया के माध्यम से टीबी मरीजों के बलगम के नमूने तेजी से स्वास्थ्य विभाग के लैब तक पहुंच रहे हैं, जिससे मरीजों के चिन्हीकरण और उनके त्वरित उपचार में भी तेजी आई है। इसके अलावा तमाम चिन्हित एवं उपचारित क्षय रोगियों को 500 रूपये प्रतिमाह का भुगतान भी डीबीटी के माध्यम से उनके इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक खातों में किया जा रहा है।
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