राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
तुम सृष्टि के
कण-कण में हो।
मन-मन में हो।
तुम बीतते वक्त के
क्षण-क्षण में हो।
तुम सोचते-विचारते
जन-जन में हो।
तुम बनती बिगड़ती
परिकल्पना के पल-पल में।
तुम अनंत व्योम के चमकते
सितारे-सितारे में हो।
भाषा अध्यापक राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गाहलिया (कांगड़ा) हिमाचल प्रदेश
कण-कण में हो।
मन-मन में हो।
तुम बीतते वक्त के
क्षण-क्षण में हो।
तुम सोचते-विचारते
जन-जन में हो।
तुम बनती बिगड़ती
परिकल्पना के पल-पल में।
तुम अनंत व्योम के चमकते
सितारे-सितारे में हो।
भाषा अध्यापक राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गाहलिया (कांगड़ा) हिमाचल प्रदेश