शैफाली, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
कभी समझ ही ना पाये
इन रिश्तो की पहैली को हम,,
जब जब जाते हे सुलझाने इसे
खुद ही उलझ जाते है।
कभी इतना अपनापन दे जाते है की
आसमाँ पे होता है आलम खुशी का,,,
कभी इक ही पल मे परायों सा
अहसास दिलाकर जमीन पे ले आते है।
कभी लगता है बेहद मजबूत है नीव इसकी
तूफान से भी टकरा जायेगी,,
कभी यू ही हवा के झोंके की
आहट से भी डर जाते है।
कभी इन्ही रिश्तो से
महफिल सजाने को जी करता है,,
कभी ये ही रिश्तै तोहफे मे तन्हाई दे जाते है।
कभी सोचते है काश जी पाते
जिन्दगी हम इन्ही रिश्तो से दूर जाकर,,
कभी ये ही रिश्ते हमे
जिन्दगी के ओर करीब ले आते है।
जोधपुर, राजस्थान