डॉ. अ. कीर्तिवर्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
विनती हमारी सुनो भगवान,
शरणागत तुम हमको जान,विद्या का दो हमको दान,
मानवता हो निज पहचान।
जीवन में कुछ कर दिखलायें,
मानवता को धर्म बनाएं,
कृपा सिन्धु हो दया तुम्हारी,
परोपकारी हम बन जाएँ।
श्रवण सा हमें भक्त बना दो,
एकलव्य सी गुरु भक्ति सीखा दो,
शिक्षा के हम दीप जलाएं,
ऐसी हममें चाह जगा दो।
नफरत को भी जड़ से मिटा दें,
जन जन में हम प्यार जगा दें,
हे कृपालु, हे दया निधान,
ऐसी हमको राह बता दें।
मात पिता का आदर सीखें,
राष्ट्र भक्ति की बातें सीखें,
अमन चैन के दीप जलें,
ऐसे हर पल सपने देखें।
दुर्गा से हम शक्तिवान हों,
सब दुष्टों का संहार करें,
कृष्ण सा हमको ज्ञान दिला दो,
गीता का प्रचार करें।
महावीर से बनें अहिंसक,
पशु पक्षियों से प्यार करें,
शान्ति के भी बने पक्षधर,
बुद्ध मार्ग पर गमन करें।
राणा और शिवाजी सा,
शौर्य भरा हो जीवन में,
शत्रु से ना कभी डरें हम,
शक्ति भरो तुम अंग अंग में।
धरती गगन और पाताल में,
विजय ध्वज फहराएं हम,
मात पिता और गुरु जनों के,
सपनों को साकार करें हम।
कर्मयोग को आगे लाकर,
फल की कभी ना चाह जगे,
बुद्धि योग को साथ मिलाकर,
बस सेवा का भाव जगे।
विद्यालक्ष्मी निकेतन, 53-महालक्ष्मी एन्क्लेव, मुज़फ्फरनगर उत्तर प्रदेश