डॉ. अ. कीर्तिवर्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
उदास लम्हों में खुशी के पल,
तलाशना जानता हूँ,
किसी रोते बच्चे को हँसाकर,
मुस्कुराना जानता हूं।
बन जाता हूँ मैं भी बच्चा,
बच्चों के बीच रह कर,
मिल बाँट कर खाना,
रेत के घरौंदे बनाना जानता हूँ।
विद्यालक्ष्मी निकेतन, 53-महालक्ष्मी एन्क्लेव, मुज़फ्फरनगर उत्तर प्रदेश