शि.वा.ब्यूरो, आगरा। पद्मश्री काका हाथरसी के जन्मदिन एवं पुण्य दिवस (18 सितंबर 1906-18 सितंबर 1995) की पूर्व वेला पर प्रशस्ति स्टूडियो के तत्वाधान में प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल में एक कवि सम्मेलन का आयोजन से किया गया, जिसमें गीत, ग़ज़ल और हास्य की त्रिवेणी बही। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के निदेशक डॉ. सुशील गुप्ता ने की।
कार्यक्रम संयोजक पवन आगरी ने बताया कि काका जी की इच्छानुसार उनका शव ऊंँटगाड़ी पर रखकर ले जाया गया था और श्मसानघाट पर भी कवि सम्मेलन आयोजित करके उनको श्रद्धांजलि दी गयी थी। चूँकि यह आगरी उपनाम भी उन्हीं की देन रहा है तो आगरा में पहली बार इस तरह का अनूठा आयोजन किया गया।
कवि सम्मेलन में ग्वालियर से पधारीं कवयित्री अर्चना अर्पण ने
'शब्द शब्द भाव है, यह गीत अनुप्राण है, गीत मन की आत्मा है, गीत मन के प्राण हैं'
से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। हास्य कवि हरेश चतुर्वेदी ने नोटबंदी के समय हज़ार एवं पांँच सौ के आपसी संवाद
'500 के नोट ने कहा सुन बे हज़ार के,
न तुम मंदिर के रहे और न मजार के'
से श्रोतागणों को ठहाके लगाने को विवश कर दिया। कवयित्री डॉ. मुक्ता सिकरवार का गीत
'प्यार करते थे तो निभाते भी थे,
पहले के लोग सच में वफादार थे'
बहुत सराहा गया। व्यंग्यकार रमेश पंडित ने भी एक नेता के मुँह से निकले शब्दों को यूँ परिभाषित किया कि
'क्या कहा तुम नैतिकता का पाठ पढ़ाते हो,
तो क्या हम अपने भाई भतीजों को कुएँ में धकेल दें।।'
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सुप्रसिद्ध कवि डॉ. कुमार मनोज ने माहौल को अपनी चुटकियों से जीवंत बनाए रखा। अंत में विद्यालय के निदेशक डॉ.सुशील गुप्ता ने माहौल को खुशनुमा बनाते हुए ही कार्यक्रम की भूरि- भूरि प्रशंसा की तथा सभी का आभार व्यक्त किया और भविष्य में भी इस तरह के आयोजन करवाने का आश्वासन दिया।