गिद्ध

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

भेड़िए कविता सुना रहे हैं, 
गिद्ध के सिर पर सजे ताज पर 
और गिद्ध नोच- खा रहा है 
गरीब, भूखे, बीमार, कमजोर लाचारों को....

कोई मजदूर- बेरोजगार उठाए आवाज तो,
वो सहज ही सम्मान उपाधि पा जाता है -
असामाजिक तत्व, देशद्रोही, 
अर्बन नक्सली, वामपंथी, आतंकी, 
नक्सली, खालिस्तानी न जाने कौन- कौन सी...?

देश में सफेद झूठ की वाहवाही के लिए
भेड़िए कविता सुना रहे हैं,
गीदड़ पत्रकारिता कर रहे हैं ।

गिद्ध मस्त है,
गिद्ध व्यस्त है,
नोच खा रहा है 
और अपनी बिरादरी को भी 
भरपेट खिला रहा है...
बाकी बचा खुचा 
स्विस बैंक में जमा करा रहा है ।

और भेड़िए उसके गुणगान में,
कविता सुना रहे हैं ।
ग्राम रिहावली, डाक घर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश

Post a Comment

Previous Post Next Post